जम्मू कश्मीर में बैंगनी क्रांति को मिला रहा बढ़ावा, लैवेंडर की खेती से किसानों को हो रहा बड़ा फायदा

जम्मू कश्मीर। जम्मू कश्मीर में लैवेंडर की खेती खूब लोकप्रिय है। लैवेंडर की खेती से किसानों को भी फायदा हो रहा है। उनकी आय में बढ़ोतरी हो रही है। घाटी में बैगनी क्रांति को बढ़ावा देने के लिए लैवेंडर की खेती को और विस्तार करने का योजना बनाई जा रही है। ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के प्रयासों से 2010 में लैवेंडर की खेती की शुरुआत की गई थी जिसके बाद किसानों का रुझान इस ओर बढ़ा था। अब जम्मू कश्मीर प्रशासन कश्मीर में इसकी खेती के तहत लगभग 500 हेक्टेयर जमीन लाने पर विचार कर रहा है। लैवेंडर खुशबूदार होने के साथ-साथ कई तरह से उपयोग में लाया जाता है।

लैवेंडर के तेल का खूब इस्तेमाल होता है। इसके अलावा लैवेंडर का उपयोग सदियों से पारंपरिक चिकित्सा और सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सीय उपयोग में किया गया है। वर्तमान में देखें तो कश्मीर में लैवेंडर के तेल का बाजार भाव करीब 20000 रुपये प्रति किलो है। लैवेंडर से किसानों के मुनाफे को और बड़ा बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में पिछले महीने भारत का पहला लेवेंडर फेस्टिवल जम्मू कश्मीर के भद्रवाह में आयोजित किया गया था। इसमें केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह पहुंचे थे और दावा किया था कि लैवेंडर उत्पादन के कारण किसानों की आय 4 गुना तक बढ़ी है। फिलहाल में देखें तो लैवेंडर की खेती जम्मू कश्मीर में 200 एकड़ से ज्यादा जमीन पर होती है। इसमें एक हजार से ज्यादा किसान परिवार लैवेंडर की खेती कर रहे हैं। 5000 किसानों और युवा उद्यमियों को इससे फायदा हुआ है।

कश्मीर के भद्रवाह को भारत की वैज्ञानिक क्रांति का जन्म स्थान भी कहा जाता है। गौरतलब है कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों में भी लैवेंडर फेस्टिवल का आयोजन होता रहा है। प्रभासाक्षी से बात करते हुए सेरहमा लैवेंडर फार्म में काम करने वाले लैवेंडर किसान निसार अहमद ने कहा कि मैं यहां अपने सहयोगियों के साथ काम करता हूं, हम सर्दियों में लैवेंडर उगाते हैं, और जून महीने में इसकी कटाई शुरू करते हैं, हम श्रीनगर में फसल लेते हैं जहां वे तेल का उत्पादन करते हैं। इसका उपयोग औषधीय प्रयोजनों, साबुन और इत्र के लिए किया जाता है। एक अन्य माली सबज़ार अहमद ने प्रभाक्षी से कहा, “सेरहमा के खेत में 8 हेक्टेयर में लैवेंडर की खेती होती है। दक्षिण कश्मीर के सेरहमा में लैवेंडर फ्रैम, स्थानीय लोग और कश्मीर के लोग आनंद लेने और तस्वीरें लेने आते हैं।

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