उत्तर प्रदेश के 77 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा

उत्तर प्रदेश सरकार की निजीकरण की योजना के कारण आई समस्या

लखनऊ/एजेंसी। उत्तर प्रदेश के 77 हजार सरकारी कर्मचारियों की नौकरी के लिए खतरा पैदा हो गया है। उत्तर प्रदेश सरकार की निजीकरण की योजना के कारण सरकारी कर्मचारियों की नौकरी पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है। सरकारी कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि या तो 77 हजार कर्मचारियों को नौकरी छोड़नी पड़ेगी या फिर सरकारी नौकरी छोड़कर प्राइवेट नौकरी करनी पड़ेगी। उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारी प्राइवेट नौकरी को “लाला की नौकरी” बता रहे हैं।
दरअसल 77 हजार सरकारी कर्मचारियों के लिए यह समस्या उत्तर प्रदेश सरकार की निजीकरण की योजना के कारण आई है। उत्तर प्रदेश सरकार की निजीकरण की योजना उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन को निजी हाथों में सौंपने के रूप में सामने आई है। उत्तर प्रदेश सरकार की योजना यह है कि उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था को प्राइवेट कंपनी को सौंप दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था को प्राइवेट हाथों में सौंपने की तैयारी की भनक लगते ही बिजली विभाग के कर्मचारियों में भारी आक्रोश फैल गया है। इस आक्रोश के बीच उत्तर प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठन एकजुट होकर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने का बड़ा फैसला कर लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार अंदर ही अंदर प्रदेश की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की योजना पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के अंतरंग सूत्रों का दावा है कि जैसे उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा शहर की बिजली व्यवस्था को नोएडा पॉवर कंपनी (एनपीसीएल) को सौंपा गया है। उसी प्रकार पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था को प्राइवेट कंपनियों को सौंपना है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा प्रदेश की बिजली कंपनियों को सहभागिता के आधार पर निजी क्षेत्र को दिए जाने के लिए बुने जा रहे ताने-बाने के कुछ संकेत बाहर आए हैं। सूत्र बता रहे हैं कि सबसे पहले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम वाराणसी और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम आगरा को निजी क्षेत्र में दिया जाना है। इन दोनों बिजली कंपनियों को निजी क्षेत्र में दिए जाने का फैसला बहुत ही उच्च स्तर से लिया जा चुका है। इस संबंध में देश के दो बड़े निजी घरानों को आश्वासन भी दिया जा चुका है। इन दोनों कंपनियों को जल्द से जल्द इन दोनों निजी घरानों को दिए जाने का दबाव उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग पर डाला गया है। इस संबंध में देश की राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक कई स्तर पर वार्ता हो चुकी है। जो चर्चाएं सामने आ रही हैं उसके मुताबिक, यूपी की इन दो बड़ी बिजली वितरण कंपनियों को सहभागिता के आधार पर निजी क्षेत्र में दिए जाने के बाद मध्यांचल, पश्चिमांचल, केस्को को भी सहभागिता के आधार पर निजी क्षेत्र को दिए जाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
उत्तर प्रदेश में निजीकरण का खुला विरोध
निजीकरण के विरोध में पिछले कई दिनों से बिजली कर्मियों का विरोध जारी है। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले से 77491 कार्मिक अब पशोपेश में आ गए हैं। निजीकरण के बाद क्या स्थिति बनेगी? इसको लेकर इन कार्मिकों की बेचैनी बढ़ी हुई है। उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों की संघर्ष समिति द्वारा जगह जगह पोस्टर चस्पा किए गए हैं। जिसमें मोटे अक्षरों में लिखा है कि निजीकरण से बड़े पैमाने पर छेटनी होगी। लिखा है कि निजीकरण होने पर पूर्वांचल व दक्षिणांचल निगम में अभियंता संवर्ग के 1519 तथा अवर अभियंता संवर्ग के 2154 पद समाप्त हो जाएंगे। इन दोनों बिजली कंपनियों से इतर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में 385 पद रिक्त हैं। इस लिहाज से अभियंता व अवर अभियंता संवर्ग के कुल 385 कार्मिक ही समायोजित किए जा सकेंगे। जिसका सीधा अर्थ यह है कि इन दोनों संवर्गों में बड़े पैमाने पर छंटनी तय है। इनके अलावा पूर्वांचल में 15236 तथा दक्षिणांचल में 8582 कर्मचारी हैं। यह कामन कैडर से हैं! इन कर्मचारियों के सामने विकल्प होगा कि वे निजी कंपनी का कर्मचारी बनना स्वीकार कर लें। निजी कंपनी उन्हें अपनी सेवा में लेने को तैयार नहीं होती है तो इनकी छंटनी भी तय है।
निजीकरण के साथ ही 50 हजार आउटसोर्स कार्मिकों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी इसके बाद सबसे बड़ी संख्या निविदा-संविदा कर्मियों की है। दोनों कंपनियों में इन आउटसोर्स कर्मियों की संख्या 50 हजार के करीब है। निजी क्षेत्र के आने पर इनकी सेवाएं स्वयं समाप्त हो जाएंगी। इस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी कर्मचारी डरे हुए हैं। उनका कहना है कि निजीकरण का फैसला उत्तर प्रदेश सरकार का तानाशाहीपूर्ण फैसला है। कर्मचारी संगठनों ने साफ कहा है कि वें अपने 77 हजार साथियों की नौकरी नहीं जाने देंगे।

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