सरिस्का में 27 टाइगर ही नहीं हजारों जीव-जंतुओं पर भी खतरा मंडराया,चिंगारी बनी दावानल!

अलवर। राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का बाघ अभ्यारण क्षेत्र में लगी भीषण आग पर मंगलवार को तीसरे दिन भी काबू नहीं पाया जा सका। आग को लगे करीब 72 घंटे हो चुके हैं। समय के साथ-साथ इसकी लपटें भी फैलती जा रही हैं। मंगलवार तक को करीब 10 किलोमीटर से ज्यादा इलाके में आग फैल चुकी है। इस दावानल को बुझाने में लगे करीब 300 वनकर्मी और ग्रामीणों के साथ वायुसेना के 2 हेलीकॉफ्टर भी जुटे हैं। हेलीकोप्टर से पहाड़ी इलाकों में लगी आग पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। इन कोशिश को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार तक आग पर काबू पा लेने की बात कही है। हालांकि जिस रफ्तार से आग फैल रही है, सरकारी दावों के हवा होने आशंका ज्यादा है। इस आग से सबसे बड़ा नुकसान सरिस्का की वन संपदा को हो रहा है। साथ ही दो दर्जन से ज्यादा टाइगर और हजारों जीव-जन्तुओं भी खतरा मंडराने लगा है। वहीं, सरिस्का की पहाड़ियों पर बसा डाबली गांव को भी खाली करवाया जा रहा है। वहां पुलिस टीम भेजी गई है, ताकि आग से ग्रामीणों को सुरक्षित बचाया जा सके।सरिस्का में आग लगने की वजह का अभी पता नहीं चला है। यह आग रविवार को लगी थी। इसकी सूचना तुरंत वन अधिकारियों तक पहुंचा दी गई थी। ग्रामीणों ने सूचना देने के साथ ही इसे बुझाने की फरियाद भी की। लेकिन उस दौरान सरिस्का प्रशासन पर्यटकों की आवभगत और मेहमाननवाजी की वाह वाहइया लूटने में व्यस्त था। सरिस्का में अक्सर मशहूर फिल्मी सितारों, नामचीन राजनेताओं का जमावड़ा रहता है। उस दिन भी पूरा प्रशासन पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की पत्नी अंजलि तेंदुलकर की अगवानी में मशगूल था। ग्रामीणों की सूचना के बाद भी समय रहते आग बुझाने के लिए फॉरेस्ट टीम नहीं भेजी गई। यह भी बड़ी वजह रही जिससे आग ने विकराल रूप धारण कर लिया।
सरिस्का इलाके में रहने वाले ग्रामीणों ने इस दावानल के पीछे वन विभाग की लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है रविवार को करीब 1 बजे वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी गई थी। लेकिन वन विभाग की टीम सूचना के कई घंटे बाद आग बुझाने के लिए आई। तब तक आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी। अगर समय रहते सरिस्का प्रशासन आग पर काबू पाने की कोशिश करता तो आग इतनी भयावह नहीं होती। सरिस्का प्रशासन पर लापरवाही के आरोपों पर फील्ड डायरेक्टर (सरिस्का) आरएन मीणा ने सफाई दी है कि सूचना के तुरंत बाद टीम मौके पर भिजवा दी गई थी। ग्रामीणों के आरोप बेबुनियाद हैं। मीणा ने यह भी कहा है कि सचिन तेंदुलकर की पत्नी की वजह से आग बुझाने के प्रयास देरी से शुरू किए गए, ऐसा नहीं है। इस मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है।
आग से बढ़ा बाघिन ST-17 और उसके शावक पर खतरा
आग की वजह से बाघिन ST-17 और उसके शावक पर खतरा मंडरान लगा है। सरिस्का के बालेटा इलाके में आग लगी हैं। इसी इलाके में पहाड़ के पास बाघिन ST -17 शावकों के साथ विचरण करती देखी गई है। आग की वजह से बाघिन का व्यवहार में भी बदलाव आने की बात सामने आई है। यही कारण है कि बाघिन की मौजूदगी वाले इलाके में हेलीकॉफ्टर से सबसे ज्यादा पानी का छिड़काव किया गया है।

एसटी-17 को लेकर चिंता क्यों बढ़ रही है?
इसकी भी वजह है। दरअसल, बाघिन ST-14 ने 2 शावकों को 2018 का जन्म दिया था। उनका नामकरण ST-17 फीमेल और ST-18 मेल टाइगर के रूप में किया था। बाघिन ST-17 करीब 20 दिन पहले 8 मार्च 2022 कैमरा ट्रेप में 2 शावकों के साथ नजर आई थी। बाघिन के शावकों की उम्र 3 से 4 महीने है। ऐसे में आग का खतरा इन शावकों के लिए ज्यादा गंभीर बन गया है। हालांकि फिलहाल बाघिन और उसके शावक सुरक्षित हैं। इसी इलाके में हेलीकॉप्टर से पानी डाला जा रहा है। सीसीएफ सरिस्का आरएन मीणा ने बताया की आग को बुझाने के लिए हेलिकॉफ्टर लगातार पानी डालेंगे और बुधवार को भी आग बुझाने के लिए हेलीकॉफ्टर ऑपरेशन जारी रखेंगे।

भीषण गर्मी के बीच मधुमक्खियों के हमले से आग बुझाना और भी मुश्किल हुआ?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर बुधवार तक आग पर काबू पाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन मौके पर परिस्थितयों को देखते हुए यह मुश्किल लग रहा है। फिलहाल, वायुसेना का एक हेलीकॉफ्टर उत्तरप्रदेश के सरसावा और दूसरा जोधपुर से पहुंचा है। हेलीकॉप्टर एक राउंड में 3500 लीटर पानी एअरलिफ्ट करते हैं। लेकिन 10 किलोमीटर इलाके, पहाड़ी क्षेत्र में ये भी नाकाफी साबित हाे रहे हैं। हालांकि बुधवार को भी यह प्रयास निर्बाध रूप से जारी रहे तो कुछ हद तक सफलता मिल सकती है। इसके लिए हेलीकॉप्टर में फ्यूल भरने के लिए मौके पर ही टेंकर की व्यवस्था भी की गई हैं। उधर, आग की वजह से कई जगह मधुमक्खियां भी वन विभाग की कार्रवाई में बाधा बन रही है। वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो जंगल में आग लगने के कारण कई जगह मधुमक्खी के छत्ते टूट गए हैं। ऐसे में लगातार पूरे क्षेत्र में मधुमक्खियाें के झूंड मंडरा रहे हैं और इनके चलते आग बुझाने के कार्य में लगे वन कर्मियों और ग्रामीणों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मधुमक्खियां वन कर्मियों के ग्रामीणों पर हमला कर रही हैं।

जंगली जीव-जंतुओं के लिए काल बन रही आग!
सरिस्का के जंगल क्षेत्र में लगी भीषण आग के चलते 27 बाघ, बाघिन और शावक के साथ 250 से ज्यादा पैंथर, सांभर, चीतल, सांप, नेवले सहित हजारों की संख्या में वन्यजीवों की जान पर खतरा मंडराने लगा है। आग लगातार फैल रही है और सैकड़ों की संख्या में सांप नेवले और जमीन पर रेंगने वाले जीवों की मौत हो रही है। हालांकि अभी तक सरिस्का प्रशासन की तरफ से इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है।

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