राजीव गाधी हत्याकांड का अभियुक्त नं 7 पेरारिवलन उर्फ ​​अरिवु 31 साल बाद रिहा,दो बैट्री खरीदने का था आरोप

नेशनल डेस्क। 21 मई, 1991 की रात दस बज कर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में कुछ ऐसा ही घटित हुआ। तीस बरस की एक छोटे कद की लड़की चंदन का एक हार लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरफ़ बढ़ी। जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए झुकी, एक जोरदार धमाके ने वहां सन्नाटा कर दिया। इस घटना को करीब तीस दशक गुजर चुके हैं। देश के सबसे बड़े हत्याकांड में से एक और तीन दशकों तक जेल में बंद एक दोषी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया। 30 साल से अधिक समय जेल में काटने के बाद बाहर आकर उस शख्स ने कहा कि जेल में 30 साल से ज्यादा गंवा दिए और अब वह आजादी की हवा में सांस लेंगे। राजीव गाधी हत्याकांड का अभियुक्त नं 7 पेरारिवलन पेरारिवलन उर्फ ​​अरिवु 19 साल का था जब उसे जून 1991 में गिरफ्तार किया गया था।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘ राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा।’’ संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है।

आजादी की हवा में सांस लेना चाहता हूं

सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी रिहाई के आदेश के कुछ घंटे बाद, राजीव गांधी की हत्या के लिए 1998 में दोषी ठहराए गए ए जी पेरारिवलन ने कहा कि उनकी जीत पिछले तीन दशकों में उनकी मां के संघर्ष का परिणाम थी। तमिलनाडु के जोलारपेट्टई में अपने घर के बाहर मीडिया से बात करते हुए पेरारिवलन ने कहा कि “इस मामले में ईमानदारी” ने उन्हें और उनकी मां अर्पुथम्मल को इतने लंबे समय तक लड़ने की ताकत दी। पेरारिवलन ने कहा कि उन्होंने इन वर्षों में बहुत अपमान और दर्द का सामना किया है। इसके बावजूद उन्होंने 31 साल तक इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी है। इस मामले में ईमानदारी ने हम दोनों को इस लड़ाई को लड़ने की ताकत दी। फैसला उनके संघर्ष की जीत है। पत्रकारों ने पूछा कि एक आजाद पंछी के रूप में कैसा लग रहा है, और भविष्य की योजनाएं क्या हैं? इस पर पेरारिवलन ने कहा मैं अभी बाहर आया हूं। कानूनी लड़ाई को 31 साल हो गए हैं। मुझे थोड़ी सांस लेनी है। मुझे कुछ समय दें। उसने कहा मैं स्पष्ट रूप से मानता हूं कि मृत्युदंड की कोई आवश्यकता नहीं है। केवल दया के लिए नहीं, बल्कि उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों सहित कई न्यायाधीशों ने ऐसा कहा है और कई उदाहरण भी हैं। हर कोई इंसान है।

CM एमके स्टालिन ने किया स्वागत

सुप्रीम कोर्ट से एजी पेरारिवलन को मिली रिहाई का तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने स्वागत किया है। उन्होंने पेरारिवलन को शुभकामनाएं भी दी हैं। एजी पेरारिवलन की रिहाई स्वागत योग्य है। उन्होंने जेल में 30 साल से ज्यादा गंवा दिए और अब वह आजादी की हवा में सांस लेंगे। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।’

दो बैट्री खरीदने का था आरोप 

पेरारिवलन पर शिवरासन के लिए दो बैटरी सेल खरीदने का आरोप था। जांच के दौरान सबूत के तौर पर 7 मई, 1991 को शिवरासन द्वारा श्रीलंका में एलटीटीई के नेता पोट्टू अम्मान को भेजा गया एक रेडियो संदेश डिकोड किया गया था। हालांकि नलिनी और रविचंद्रन सहित कई अन्य के खिलाफ साजिश के आरोपों को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। बता दें कि  सोनिया गांधी की सिफारिश और तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने 24 अप्रैल 2000 को चमिसनाडु सरकार ने एक दोषी नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को मुरुगन, संथम व पेरारीवालन की दया याचिका 11 साल से लंबित होने के आधार पर उनका मृत्युदंड भी खारिज कर दिया।

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