स्कूल बस में छात्र की मौत के मामले में योगी सरकार का एक्शन- आरआई और दो एआरटीओ निलंबित, एक वकील समेत 50 अज्ञात पर मामला दर्ज

गाजियाबाद। गाजियाबाद के मोदीनगर में स्कूल बस से सिर निकालने पर छात्र अनुराग की मौत के मामले में लापरवाही सामने आने पर शासन ने क्षेत्रीय निरीक्षक (आरआई) प्रेम सिंह को निलंबित कर दिया है। वह वर्तमान में कानपुर में तैनात हैं। गाजियाबाद में 2017 से 2021 तक तैनात रहे। इस दौरान दयावती मोदी पब्लिक स्कूल की बसें बगैर फिटनेस के दौड़ती रहीं। मामले में शासन ने सख्त रुख अपनाते हुए एआरटीओ सतीश कुमार और एआरटीओ विश्वजीत प्रताप सिंह को भी निलंबित कर दिया है। आरटीओ अरुण कुमार ने इस बात की पुष्टि की है। एआरटीओ सतीश कुमार परिवहन कार्यालय की प्रवर्तन इकाई से जुड़े हुए थे। मोदीनगर स्कूल बस और अन्य वाहनों के निरीक्षण की जिम्मेदारी इन्हीं की थी। विश्वजीत प्रताप सिंह फिटनेस के मामले में सतीश कुमार के इंचार्ज थे। क्षेत्रीय निरीक्षक समेत अब तक तीन अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है।
एक वकील समेत 50 अज्ञात पर दिल्ली-मेरठ रोड जाम करने के लिए केस दर्ज
इस मामले में गुरुवार को दिल्ली-मेरठ रोड जाम करने वालों पर मोदीनगर की थाना इंचार्ज ने मामला दर्ज किया है। इनमें एक सुप्रीम कोर्ट के वकील लोकेंद्र आर्य को नामजद किया है, वहीं 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
स्कूल बस से बाहर झांकते समय लोहे के गेट से सिर टकरा जाने से छात्र अनुराग की मौत हो जाने के मामले में आरोपी बस चालक ओमवीर और क्लीनर जगवीर को बृहस्पतिवार को जेल भेज दिया गया। ओमवीर  के साथ बुधवार को हिरासत में लिए गए दयावती मोदी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य नेत्रपाल को पुलिस ने थाने से ही छोड़ दिया। पुलिस अफसरों का कहना है कि प्रधानाचार्य  और प्रबंधन के अधिकारियों खिलाफ  साक्ष्य मिलने पर ही कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए विधि विशेषज्ञों की राय ली जा रही है।
कक्षा चार के छात्र अनुराग की मौत बुधवार सुबह स्कूल जाते वक्त हुई थी। परिजनों का कहना है कि स्कूल बस में क्षमता से अधिक बच्चे थे, इससे अनुराग का जी मिचलाया और उसे उल्टी आ गई। उसने उल्टी करने के लिए सिर बाहर निकाला और दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया। अनुराग की मां नेहा ने मोदी इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और स्कूल के मालिक उमेश कुमार मोदी, प्रधानाचार्य नेत्रपाल और चालक ओमवीर व प्रबंधन के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश रचने की धारा में केस दर्ज किया था। हादसे के बाद अनुराग के परिजनों और अन्य लोगों ने स्कूल में हंगामा किया था, तोड़फोड़ भी की गई थी। उनका गुस्सा शांत करने के लिए पुलिस ने प्रधानाचार्य नेत्रपाल और चालक ओमवीर को लोगों के सामने ही हिरासत में लिया और थाना ले गई।
इस पर हंगामा प्रदर्शन शांत हो गया था। बृहस्पतिवार सुबह परिजन मोदीनगर थाना पहुंचे तो प्रधानाचार्य नहीं मिले, वहां सिर्फ  चालक था। पुलिस ने पहले कहा कि लोगों का गुस्सा देखते हुए प्रधानाचार्य को निवाड़ी थाना पर भेज दिया है। लोग वहां पहुंचे तो पुलिस की बात झूठ निकली। पता चला कि उन्हें रात में ही छोड़ दिया गया था।
पुलिस ने माना रंजिश में हत्या का मामला
पुलिस ने इस मामले को रंजिश में हत्या का मामला माना है। मुकदमा हत्या में धारा में दर्ज किया गया था। एसपी देहात डॉ. ईरज रजा ने बताया कि चालक ओमवीर निवासी गांव गदाना की गिरफ्तारी हत्या की धारा 302 में ही की गई है। उसे कोर्ट में पेश किया गया। वहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। एफआईआर में जगवीर का नाम नहीं था, लेकिन जांच में पाया गया कि वह घटना के दौरान बस में मौजूद था। इस पर उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। अनुराग की मां ने आरोप लगाया था कि चालक उनसे रंजिश रखता था। वजह यह थी कि उन्होंने बस में क्षमता से ज्यादा बच्चे ले जाने की शिकायत की थी। इसी पर कहासुनी हुई थी। इसके बाद से वह रंजिश रखने लगा था। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के बारे में एसपी देहात का कहना है कि प्रधानाचार्य के खिलाफ  अभी साक्ष्य नहीं मिले। जिनके खिलाफ भी साक्ष्य मिलेंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी।अनुराग के परिजनों को जैसे ही पता चला कि हत्या के मुकदमे में नामजद प्रधानाचार्य नेत्रपाल को पुलिस ने रात में थाने से ही छोड़ दिया, वैसे ही उनका गुस्सा फूट पड़ा। उनके साथ सूरत सिटी कॉलोनी के उनके पड़ोसी भी आ गए। इन लोगों ने मोदीनगर थाना के सामने ही जाम लगा दिया। दिल्ली-मेरठ मार्ग पर दोनों ओर एक किलोमीटर तक वाहनों की कतार लग गई। आस पास के थानों की फोर्स भी बुला ली गई। अफसरों ने कहा कि जिसके खिलाफ भी साक्ष्य मिलेंगे, उस पर कार्रवाई होगी। तीन घंटे तक वार्ता चली। इसके बाद जाम खोला गया।सुबह आठ बजे ही लोग थाना के बाहर जमा हो गए थे। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानाचार्य को क्यों छोड़ा? अगर वह कसूरवार नहीं तो उसे पकड़ा क्यों था? प्रदर्शनकारियों से पुलिस की झड़प भी हुई। दस बजे तक जाम भीषण हो गया। इस पर पुलिस ने ट्रैफिक को गली-मोहल्लों के रास्ते की तरफ मोड़ा, लेकिन बात नहीं बनी। गली- मोहल्ले जाम हो गए। एसपी देहात और अन्य अधिकारियों ने अनुराग के परिजनों से बात की। उन्हें समझाया कि किसी को छोड़ा नहीं गया है, सिर्फ साक्ष्य मिलने का इंतजार है, केस हत्या का है, इसलिए बगैर साक्ष्य कार्रवाई नहीं की जा सकती है। आश्वासन दिया कि 72 घंटे के भीतर तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी। विधि विशेषज्ञों की राय लेकर बता दिया जाएगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जा सकती है। इसके बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ। 11 बजे जाम खोल दिया गया।

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