दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की फेक वेबसाइट बनाकर पोस्ट की वैकेंसी, ठगी की रकम से खरीद ली टाटा सफारी

नई दिल्ली। नॉर्थ जिले की साइबर सेल ने एक ऐसे केस का खुलासा किया है, जिसमें शातिर ठगों ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ही फेक वेबसाइट बना डाली। फिर उसका लिंक फेसबुक पेज पर विज्ञापन के तौर पर पोस्ट किया हुआ था। जहां जॉब के नाम पर लोगों को ठग लिया जाता था। साइबर सेल टीम ने तीन अरोपियों को गिरफ्तार करते हुए इनके पास से 106 सिमकार्ड, 9 मोबाइल फोन, डेबिट और क्रेडिट कार्ड, कार व अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। आरोपियों की पहचान नोएडा सेक्टर 117 निवासी नितिन सिंह, सेक्टर 63 निवासी सुमंत कुमार व न्यू अशोक नगर निवासी मोहम्मद शाहनवाज के तौर पर हुई।
डीसीपी नार्थ डिस्ट्रिक सागर सिंह कलसी के मुताबिक, एसीपी ऑपरेशन केशव कुमार निहाल के सुपरविजन में साइबर सेल थाने के एसएचओ पवन तोमर, एसआई रोहित सारस्वत, गुमान सिंह, रंजीत सिंह, हेड कॉन्स्टेबल पंकज, लेडी हेड कॉन्स्टेबल सुनीता, कॉन्स्टेबल सोनिका, कुलाराम, आकाश, रविंद्र और प्रवीण ने केस को वर्क आउट किया है। एमएचए साइबर क्राइम पोर्टल के जरिए इस मामले की शिकायत मिली थी, जिसमें शास्त्री नगर निवासी युवक ने बताया कि वह पढ़ाई करने के साथ जॉब की तलाश कर रहा था। उसने फेसबुक पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में जॉब का एड देखा। जैसे ही उसने फेसबुक पर लिंक को क्लिक किया तभी उसे वट्सऐप पर एक नंबर से एक मेसेज आया। इसमें दिल्ली मेट्रो रेल वेबसाइट का लिंक था। उसने वेब फॉर्म भर दिया और 49 रुपए ट्रांजक्शन के लिए डेबिट कार्ड की डिटेल भी दे दी। ये रुपए रजिस्ट्रेशन फीस थी। ओटीपी की जानकारी देते ही उसके बैंक अकाउंट से 19,049 रुपए उड़ गए।
पांच अप्रैल को साइबर नार्थ थाने में चीटिंग का केस दर्ज किया गया। इस बीच वेस्ट मोती बाग सराय रोहिल्ला निवासी आकाश ने भी खुद के साथ इसी अंदाज में हुई चीटिंग की शिकायत दर्ज कराई थी। टीम ने मोबाइल नंबरों को जांच की। सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाले। कॉल डिटेल और बैंक अकाउंट डिटेल चैक करने के बाद आरोपियों की लोकेकशन नोएडा में मिली। 19 अप्रैल की देर शाम आरोपियों को पकड़ लिया। इनसे सात फर्जी आधार कार्ड, दो वोटर आईडी, तीन पैन कार्ड व अन्य काफी सामान बरामद किया गया। इसके अलावा आरोपी नितिन के पास से हाल ही में खरीदी गई कार भी जब्त की। आरोपी नितिन ने पूछताछ में बताया वह नोएडा में काफी कॉल सेंटर में काम कर चुका है। वहीं से साइबर ठगी का आइडिया आया। गेल, भेल, ओएनजीसी व डीएमआरसी जैसी जगह जॉब का ऑफर देकर बेरोजगारों को फंसाने लगा।

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