अतुल गर्ग का पत्ता साफ, नरेंद्र कश्यप को मिला ताज
गाजियाबाद। योगी सरकार 2.0 में गाजियाबाद के हिस्से में सिर्फ एक मंत्री पद आया है। पूर्व राज्य सभा सदस्य एवं भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। पिछली योगी सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री रहे सदर सीट से विधायक अतुल गर्ग का पत्ता इस बार कट गया है। सिर्फ अतुल ही नहीं लगातार दूसरी बार जीते जिले के पांचों विधायक मंत्री पद की दौड़ में नरेंद्र कश्यप से पिछड़ गए।
शुक्रवार को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनका मंत्रिमंडल शपथ ले रहा था, तब गाजियाबाद के लोगों की नजर इसी पर लगी थी कि अपने यहां से किसे मंत्री की कुर्सी मिलती है। अतुल गर्ग की संभावना इसलिए थी, क्योंकि वह न केवल राज्यमंत्री रह चुके हैं, बल्कि इस बार उनकी जीत 2017 के मुकाबले काफी बड़ी थी। वह एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे। देश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट साहिबाबाद से जीते सुनील शर्मा का नाम भी चर्चा में था।
कुछ लोग मोदीनगर की विधायक डॉ. मंजू शिवाच को मंत्री बनाए जाने के कयास भी लगा रहे थे, लेकिन इनकी जगह जब नरेंद्र कश्यप का नाम आया तो लोग चौंक गए। कारण यह था कि बसपा से राज्यसभा सदस्य रह चुके 59 वर्षीय नरेंद्र फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। उनके नाम की चर्चा मंत्री पद की दौड़ में नहीं थी। वह छुपे रुस्तम साबित हुए। वह पेशे से अधिवक्ता हैं और संजय नगर में उनका आवास है। मूलरूप से हापुड़ के सिंभावली के सरावनी के निवासी हैं।
रिकॉर्डतोड़ जीत से भी नहीं मिली सुनील को कुर्सी
साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा को इस बार रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की थी। उन्होंने सपा के अमर पाल शर्मा को दो लाख 14 हजार 235 वोटों से हराया था। पूरे देश में कभी कोई उम्मीदवार विधानसभा चुनाव इतनी ज्यादा वोटों से नहीं जीता। इसके बावजूद सुनील शर्मा को मंत्री नहीं बनाया गया। वह तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। एक बार सदर सीट से जीत चुके हैं।
नरेंद्र कश्यप को मंत्री बनाए जाने की वजह भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग मानी जा रही है। पश्चिमी यूपी में नरेंद्र कश्यप पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा है। वह लगभग दो दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। बसपा में वह अध्यक्ष मायावती के नजदीकी माने जाते थे। उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया था। 2017 में वह भाजपा में शामिल हुए। तब से ही पिछड़ों के बीच काम कर रहे हैं। उन्हें ओबीसी मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वह गाजियाबाद में दो बार पिछड़ी जातियों का बड़ा सम्मेलन करा चुके हैं। इसमें केंद्रीय मंत्री भी शामिल हुए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव और इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पिछड़े और अति पिछड़ों को भाजपा से जोड़ने का काम किया। माना जा रहा है कि इसी का इनाम उन्हें मंत्री बनाकर दिया गया है।
100 दिन जेल में रहे, सजा पर हाईकोर्ट ने लगा रखी है रोक
नरेंद्र कश्यप को सत्र न्यायालय से साढ़े तीन साल कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। मामला उनकी पुत्रवधू हिमांशी के आत्महत्या कर लेने का था। कोर्ट ने उन्हें हिमांशी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाया था। पूर्व सहायक शासकीय अधिवक्ता लोकेश कुमार ने बताया कि 2018 में जिला अदालत ने कारावास की सजा के साथ अर्थदंड भी लगाया था। आदेश के खिलाफ नरेंद्र कश्यप ने उच्च न्यायालय में अपील की। सजा पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी थी। उनके बेटे डॉ. सागर की शादी वर्ष 2013 में बदायूं निवासी पूर्व मंत्री हीरा लाल कश्यप की बेटी हिमांशी से हुई थी। छह अप्रैल को हिमांशी की ससुराल में संदिग्ध परिस्थिति में सिर में गोली लगने से मौत हो गई थी। हीरा लाल ने नरेंद्र कश्यप, उनकी पत्नी देवेंद्री और बेटे डॉ. सागर समेत 6 के खिलाफ दहेज हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें 2016 में नरेंद्र कश्यप को जेल जाना पड़ा था। 100 दिन बाद वह जमानत पर रिहा हुए थे। इसके बाद बसपा ने नरेंद्र व हीरा लाल के पार्टी से निष्कासित कर दिया था। हालांकि पुत्रवधू की मौत के मामले में उनका पीड़ित पक्ष से समझौता हो चुका है।
नरेंद्र कश्यप के मंत्री बनने के बाद संजय नगर सेक्टर 23 स्थित घर पर जश्न का माहौल रहा। ढोल नगाड़े बजाकर रंग गुलाल उड़ाए गए। बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।