रूस-यूक्रेन युद्ध से आटोमोबाइल सेक्टर पर संकट के बादल

गुरुग्राम। रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुआ युद्ध एक बार फिर आटोमोबाइल सेक्टर के लिए संकट का बड़ा कारण बन गया है। पहले वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन की सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली कंपनियां बुरी तरह से प्रभावित हुईं और इसका खामियाजा आटोमोबाइल कंपनियों को उठाना पड़ा। पिछले दो-तीन माह से स्थिति सुधर रही थी मगर अब युद्ध के कारण फिर से इस सेक्टर के भविष्य पर ग्रहण लगता दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों के उत्पादन पर इसके साइड इफेक्ट्स की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

सेमीकंडक्टर चिप के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले पलेडियम और नियोन अत्यंत महत्वपूर्ण कंपोनेंट हैं। पलेडियम की कुल वैश्विक मांग का 44 प्रतिशत रूस अकेले आपूर्ति करता है। वहीं यूक्रेन नियोन की कुल वैश्विक मांग का 70 प्रतिशत का आपूर्तिकर्ता है। इनके बिना चिप की मैन्यूफैक्चरिग नहीं की जा सकती है। अभी रूस-यूक्रेन युद्धरत हैं। युद्ध लंबा चला तो आटोमोबाइल सेक्टर कितने बड़े संकट में फंस सकता है इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। यह दोनों कंपोनेंट चिप का सबसे जरूरी कच्चा माल हैं।

आटोमोबाइल सेक्टर के विशेषज्ञ चेतन अरोड़ा का कहना है कि कोविड-19 के बाद यह सबसे बड़ा झटका है। ताइवान दुनिया का सबसे बड़ा चिप निर्यातक देश है। वहां स्थित टीएसएमसी और यूएमसी कंपनी द्वारा इसका निर्माण किया जाता है। इसके बाद दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग का नंबर आता है। इस संकट से वाहनों के होलसेल और प्रोडक्शन के प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है। गुड़गांव चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष, विकास जैन का कहना है कि गुरुग्राम देश का सबसे बड़ा आटोमोबाइल हब है ऐसे में चिप संकट का बड़ा नकारात्मक असर यहां पर देखने को मिलेगा। यही कारण है कि सभी चाहते हैं कि रूस-यूक्रेन का युद्ध जल्द से जल्द समाप्त हो।

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