मुफ्त रेवड़ी बिगाड़ रही तेलंगाना का गणित, 21 हजार करोड़ रुपये बैंक का बकाया

Free freebies are ruining Telangana's calculations, bank dues are Rs 21 thousand crore

नई दिल्ली/एजेंसी। चुनाव जीतने के लिए मुफ्त की रेवड़ी आज के दिन सभी दलों का प्राथमिकता में आ गई है। दिल्ली चुनाव में भी रोजाना इसकी घोषणाएं हो रही है। लेकिन इसके वित्तीय प्रभाव को लेकर जो रिपोर्ट तेलंगाना से आई है वह चिंतित करने वाली है।
पहले टीआरएस और अब कांग्रेस शासित राज्य तेलंगाना में रेवड़ी की कारण ही बैंकों का 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया राज्य सरकार पर चढ़ गया है। इसका असर यह हो रहा है कि बैंकों के पास लोन देने के लिए नकदी की कमी हो रही है। बैंकों की बैलेंस-शीट डगमगा रही हैं और राज्य के कई इंफ्रा प्रोजेक्ट वित्तीय अभाव में फंस सकते हैं। तेलंगाना का अपना राजकोषीय घाटा भी बढ़ सकता है क्योंकि लोन के भुगतान के मद में सरकार का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है।
वर्ष 2023 में सत्ता मे आने के बाद तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने दिसंबर में 18,000 करोड़ रुपए के लोन माफी की घोषणा कर दी। इसके तहत किसानों के दो लाख रुपए तक का लोन माफ किया जाना है। इससे पहले के.सी. राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार ने वर्ष 2014 में किसानों के लोन माफी के लिए 17,000 करोड़ रुपए की स्कीम की अधिसूचना जारी की थी। इसका भुगतान सरकारी कमर्शियल बैंक, ग्रामीण बैंक और कोपरेटिव बैंक को वापस किया जाना था।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सरकार ने लोन माफी घोषणा तो कर दी, लेकिन वित्त वर्ष 2019 से चार हजार करोड़ रुपए अब भी सरकारी बैंक व ग्रामीण बैंकों का तेलंगाना सरकार पर बकाया है। वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में केसीआर सरकार ने लगभग 25,000 करोड़ के फसल ऋण की माफी की घोषणा की। इनमें से भी वित्त वर्ष 2021 से सरकारी बैंकों का तेलंगाना सरकार पर 2400 करोड़ रुपए का बकाया है। अब दिसंबर, 2023 में कांग्रेस की सरकार ने 18,000 करोड़ रुपए के लोन माफी का ऐलान किया। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 से सरकारी कमर्शियल बैंक और ग्रामीण बैंकों का 14,470 करोड़ रुपए तेलंगाना सरकार पर बकाया है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक कुल मिलाकर बैंकों के 20,865 करोड़ रुपए तेलंगाना सरकार पर बकाए हो चले हैं। इनमें 12,296 करोड़ रुपए ग्रामीण बैंकों के तो 8569 करोड़ रुपए सरकारी बैंकों के हैं। राज्य की हालत ऐसी हो गई है कि लोन के भुगतान में सालाना 66,000 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। तेलंगाना राज्य की स्थापना के शुरुआती दौर में लोन भुगतान के मद में सिर्फ 6400 करोड़ रुपए दिए जा रहे थे।

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