नोएडा में चौंकाने वाली रिपोर्ट, दिव्यांगजनों का सहारा छीना, कबाड़ बन गईं लाखों की ट्राइसाइकिलें
Shocking report in Noida, disabled people's support taken away, tricycles worth lakhs turned into junk
- दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
- दिव्यांगजनों का सहारा छीना, लाखों की 50 ट्राइसाइकिल कर डाली कबाड़।
- कोरोना काल में कानपुर की एलिम्को कंपनी ने भेजी थी ये ट्राइसाइकिलें।
ग्रेटर नोएडा। जिले में दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने दिव्यांगों को बांटने के लिए मिलीं करीब 50 ट्राइसाइकिल बांटी ही नहीं। स्टोर रूम में बंद यह सभी ट्राइसाइकिलें कबाड़ हो गई हैं। कोरोना काल में कानपुर की एलिम्को कंपनी की ओर से यह साइकिलें वितरण के लिए भेजी गईं थीं। वर्तमान में 52 दिव्यांगजनों के सहायक उपकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन लंबित हैं।
जनपद में दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग में विभिन्न शारीरिक दिव्यांगता वाले 4647 दिव्यांग पेंशनर्स पंजीकृत हैं। इन्हें पेंशन व सहायक उपकरण समेत शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। वर्तमान में विभाग के पास सहायक उपकरण के लिए 52 दिव्यांगजनों ने आवेदन कर रखा है। इस बीच विभाग के जिम्मेदारों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। विकास भवन परिसर में पीछे के हिस्से में बने स्टोर रूम में करीब 50 ट्राइसाइकिल बंद हैं। यह ट्राइसाइकिलें करीब चार साल पहले कोरोना काल में दिव्यांगजनों को वितरित करने के लिए कानपुर की एलिम्को कंपनी ने भेजी थी। एक भी साइकिल जरूरतमंद दिव्यांगजनों तक नहीं पहुंची।
बताया गया कि यह साइकिलें पूरी तरह से कंडम हो चुकी हैं। जगह-जगह जंग लगी है। किसी की सीट गायब हैं तो किसी के टायर ट्यूब फटे हुए हैं। इनकी हालत ऐसी हो गई है कि मरम्मत लायक भी नहीं प्रतीत नहीं हो रही हैं। फिलहाल इन ट्राइसाइकिलों के वितरण नहीं होने व कबाड़ होने को लेकर जिम्मेदार अधिकारी कोई ठोस वजह नहीं बता पा रहे हैं।
वर्तमान में बाजार में अलग-अलग क्वालिटी की बैटरी रहित ट्राइसाइकिल की कीमत करीब 10 से 30 हजार रुपये तक है। इस हिसाब से स्टोर में बंद कर कबाड़ कर डाली गईं करीब 50 ट्राइसाइकिलों की कीमत 10 से 15 लाख रुपये के आसपास होगी। ऐसे में जिम्मेदारों की लापरवाही से लाखों रुपये की बर्बादी हो गई। विभागीय अधिकारी का कहना है कि जो सहायक उपकरणों के लिए करीब 52 दिव्यांगजनों ने आनलाइन माध्यम से आवेदन किया है। इन आवेदन पत्रों की जांच की जा रही है। जांच में पात्र मिले आवेदकों के लिए जैम पोर्टल के माध्यम से सहायक उपकरण खरीदने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
गौतमबुद्ध नगर जनपद में कोरोना काल में जिला दिव्यांग सशक्तीकरण अधिकारी के पद पारिषा मिश्र तैनात थीं। मई 2021 में पारिषा मिश्र का तबादला हो गया था। इसके बाद से जिले के दिव्यांग सशक्तीकरण अधिकारी का पद अन्य अधिकारियों के पास प्रभार के रूप में रहा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में पारिषा मिश्र यहीं तैनात थीं। उन्हीं के समय में यह उपकरण वितरण के लिए आए थे।