तत्कालीन लोनी नगर पालिका चेयरमेन समेत तीन पर घोटाले की फाइलें गायब करने का मुकदमा
गाजियाबाद ब्यूरो। लोनी नगर पालिका से घोटाले की फाइलें गायब हो जाने पर 2012 से 2017 तक चेयरमैन रहे मनोज धामा, अधिशासी अभियंता डीके राय और लिपिक प्रणव राय पर केस दर्ज कराया गया है। शिकायत में घोटाला 300 करोड़ रुपये का बताया गया था। यह शिकायत और जांच की छह फाइलें तब गायब की गई है जब शासन ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की है।
एफआईआर लोनी पालिका की वर्तमान में अधिशासी अभियंता शालिनी गुप्ता ने दर्ज कराई है। इसमें बताया है कि बार-बार मांगे जाने पर लिपिक ने फाइल नहीं दी। जांच कराई तो पता चला कि फाइल गायब कर दी गई है। शिकायत प्रदीप गोस्वामी ने की थी। इसमें आरोप था कि मनोज धामा के कार्यकाल के दौरान पांच साल में तीन सौ करोड़ का घोटाला किया गया। मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत में घोटाले से संबंधित कुछ दस्तावेज भी दिए थे। आरोप है कि 14 अगस्त 2015 को नाली खड़ंजों के टेंडर किए गए थे जिसमें संख्या 157 वार्ड नंबर-30 इंद्रा एंक्लेव में मुकेश खलवाले से जेपी गोदाम के मकान तक सड़क निर्माण होना तय हुआ था। इसकी लागत 26 लाख 93 हजार 600 रुपये थी। दोबारा टेंडर निकाले बगैर इसे बढ़ाकर 99 लाख 46 हजार 800 रुपये कर दिया गया।
एसडीएम संतोष कुमार राय ने बताया कि अधिकारियों ने मामले में जांच के आदेश दिए थे। लोनी नगर पालिका ने रिमाइंडर भेजने के बाद भी फाइल उपलब्ध नहीं कराई है। किसी सड़क निर्माण कार्य पर ज्यादा पैसे लेने के आरोप में जांच चल रही है। शासन से घोटाले की शिकायत पर जांच कराने के लिए कहा गया। लोनी एसडीएम संतोष कुमार राय ने 10 मई को नगर पालिका को पत्र लिखकर घोटाले की फाइल मांगी। इसके बाद एसडीएम ने रिमाइंडर भेजा। इस दौरान नगर पालिका से फाइल गायब हो गई। शिकायत और जांच से जुड़ी कुल छह फाइले थीं। इनके गायब होने पर केस दर्ज कराया गया है। लोनी नगर पालिका के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर सांसद वीके सिंह ने भी पत्र लिखा था। लोनी में रहने वाले सचिन शर्मा ने भी 300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाकर पत्र लिखा था। उन्होंने आरोप लगाया है कि उस समय नगर पालिका के ठेके पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी कम थे और पैसा ज्यादा कर्मचारियों को लिया जा रहा था। कई सड़कों के दो बार टेंडर छोड़े गए थे।
मनोज धामा का कहना है कि उनके कार्यकाल में करीब दो करोड़ 86 लाख रुपये आए थे। जिसमें से करीब दो करोड़ 79 लाख रुपये खर्च हुए हैं। नगर पालिका में बोर्ड बैठक में विकास कार्यों के निर्माण के लिए जाते हैं। कई अधिकारियों से होकर फाइल गुजरती है। उन पर लगे सभी आरोप गलत हैं। फाइल को जानबूझकर गायब किया गया है।