नेपाल में मिला लापता तारा एयर प्लेन का मलबा, 4 भारतीयों समेत 22 लोगों का पता नहीं

काठमांडू,(एजेंसी)। नेपाल में 4 भारतीयों समेत 19 यात्रियों को लेकर जा रहे लापता हुए विमान का मलबा मिल गया है। तारा एयर का 9 एनएईटी ट्विन इंजन विमान रविवार की सुबह पहाड़ी जिले मस्टैंग में लापता हो गया था। नेपाली हवाई अड्डा प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया है कि इस जहाज के मलबे को कोवांग गांव में पाया गया है। त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रमुख ने मलबा मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि घटनास्थल पर वर्तमान हालात का पता लगाया जाना बाकी है। राहत और बचाव की टीमें दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं।
स्थानीय लोगों के जरिए नेपाल सेना को मिली जानकारी के अनुसार तारा एयर का विमान मनापति हिमाल के भूस्खलन में लामचे नदी के मुहाने पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सेना के प्रवक्ता नारायण सिलवाल ने कहा कि नेपाल सेना जमीन और हवाई मार्ग से घटनास्थल की ओर बढ़ रही है। इस विमान में तीन जापानी, चार भारतीय समेत कुल 19 यात्री सवार थे। मुख्य जिलाधिकारी नेत्र प्रसाद शर्मा ने कहा कि हवाई जहाज को आखिरी बार मुस्तांग जिले में देखा गया था। बाद में इसे माउंट धौलागिरी की ओर मोड़ दिया गया, जिसके बाद इसे नहीं देखा गया था।
विमान ने पोखरा से जॉमसम के लिए भरी थी उड़ान
तारा एयर का 9 NAET डबल इंजन विमान ने पोखरा से जॉमसम के लिए सुबह 9.55 बजे उड़ान भरी थी। इस हवाई जहाज को कैप्टन प्रभाकर घिमिरे उड़ा रहे थे। हवाई अड्डा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि विमान के मस्टैंग के लेटे क्षेत्र में पहुंचने के बाद, संपर्क टूट गया था।
स्थानीय लोगों ने तेज धमाके की आवाज सुनने का दावा किया
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, विमान के मस्टैंग जिले के लेटे के “तिती” इलाके में दुर्घटनाग्रस्त होने का संदेह है। टिटी के स्थानीय लोगों ने हमें फोन किया और सूचित किया कि उन्होंने एक असामान्य आवाज सुनी है जैसे कि कोई धमाका हुआ हो। हम तलाशी अभियान के लिए इलाके में एक हेलीकॉप्टर तैनात कर रहे हैं। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता फदिंद्र मणि पोखरेल ने फोन पर एएनआई को बताया कि नेपाल सेना के हेलिकॉप्टर को भी तलाशी के लिए तैनात करने की तैयारी की जा रही है।
धौलागिरी और अन्नपूर्णा पहाड़ों के बीच स्थित है मस्टैंग क्षेत्र
मस्टैंग शब्द तिब्बती मुंटन से लिया गया है जिसका अर्थ है “उपजाऊ मैदान”। पारंपरिक क्षेत्र काफी हद तक शुष्क है। धौलागिरी और अन्नपूर्णा पहाड़ों के बीच तीन मील लंबवत नीचे जाने वाली दुनिया की सबसे गहरी घाटी इस जिले से होकर गुजरती है।

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