सान्ध्य टाइम्स को लोकप्रियता का नया आयाम देने वाले जाने माने पत्रकार सत सोनी का निधन

नेशनल डेस्क। देश के वरिष्ठतम पत्रकारों में एक सत सोनी का निधन हो गया है। उन्होंने रात 11:47 मिनट पर गुरुग्राम में अंतिम सांस ली। वह 89 वर्ष के थे और करीब दो दशक से गुरुग्राम में रह रहे थे। पहले दिल्ली के गुलमोहर पार्क में रहते थे। हिंदी पत्रकारिता को आसान भाषा और मुहावरा देने में सोनी जी का बड़ा योगदान था। म्यांमार (तब बर्मा) में जन्मे सोनी वहां जापान के आक्रमण के बाद 1944 में परिवार के साथ पंजाब आ गए थे। उन्होंने जालंधर में उर्दू और हिंदी में शिक्षा ग्रहण की। 1951 में उर्दू अखबार ‘मिलाप‘ से पत्रकारिता शुरू की। बाद में टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप के साथ जुड़ गए। उन्होंने नवभारत टाइम्स में काम शुरू किया। वह बताते थे कि उन्होंने तब के संपादकों से पत्रकारिता की बारीकियां सीखीं। फील्ड में जाकर विभिन्न क्षेत्रों की गतिविधियों की गहराई समझी। सोनीजी ने जो कुछ अपने वरिष्ठ लोगों से सीखा, उसे उन्होंने अगली पीढ़ी को और अधिक निखारकर दिया।
सोनी अपने समकालीन अन्य भाषा के पत्रकारों के बीच भी लोकप्रिय थे। अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर वह दूसरी भाषा के पत्रकारों को बहुत कुछ बताते थे। अन्य भाषा के पत्रकार अक्सर उनसे चर्चा करने टाइम्स हाउस आते रहते थे। 17 दिसंबर 1979 को जब ‘सान्ध्य टाइम्स‘ का प्रकाशन शुरू हुआ तो सोनी को उसकी जिम्मेवारी सौंपी गई। कुछ समय में यह समाचार पत्र देश का सर्वाधिक बिकने वाला हिंदी सान्ध्य दैनिक बन गया। सोनी 24 घंटे पत्रकारिता को समर्पित रहते थे। घर पहुंचकर अगले दिन के प्रकाशन पर काम करते थे। अगले दिन सुबह जब दफ्तर आते थे, तो उनके हाथ में बीसियों अखबारों का बंडल होता था। उनमें अंग्रेजी के विदेशी अखबार भी होते थे, जिन्हें वह जहां-तहां से जुटाते थे। तब इंटरनेट, मोबाइल और टीवी नहीं थे।
वह देश के पहले पत्रकार थे, जिन्हें 1960 के दशक में ‘टाइम्स लंदन फाउंडेशन स्कॉलरशिप‘ के लिए चुना गया था। वहां के अनुभवों को उन्होंने सान्ध्य टाइम्स के लिए इस्तेमाल किया। आपसी चर्चा और तर्क को महत्व देते थे। कभी तनाव में नहीं दिखते थे। हंसुमुख मिजाज सोनी लतीफों के माहिर थे। सान्ध्य टाइम्स में लतीफों का कॉलम काफी पसंद किया जाता है। कई बार अच्छे लतीफे नहीं होते थे, तो वह खुद लतीफे बनाकर उन्हें ‘मुहम्मद तुगलक‘ के नाम से छापते थे। उनके परिवार में पत्नी, पुत्र, पुत्रवधु और दो पौत्र हैं।

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