लोकसभा में सोनिया गांधी ने उठाया सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मुद्दा

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के तीसरे दिन कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने लोकसभा में सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर विराम लगाना चाहिए। सोनिया गांधी ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया और कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि सत्तापक्ष की मिलीभगत के साथ सोशल मीडिया कंपनियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। सोनिया गांधी ने कहा कि हमारे लोकतंत्र को हैक करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने का खतरा बढ़ रहा है। फेसबुक और ट्विटर जैसी वैश्विक कंपनियों का इस्तेमाल नेताओं, राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों द्वारा राजनीतिक विमर्श बनाने में किया जाता है। उनके मुताबिक, यह बात बार-बार लोगों के संज्ञान में सामने आई है कि वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियां सभी राजनीतिक दलों को मुकाबले का समान अवसर प्रदान नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल वाल स्ट्रीट जर्नल ने खबर दी कि कैसे नफरत भरे भाषण से फेसबुक के खुद के नियमों का हनन सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के पक्ष में किया जा रहा है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि रेलवे के निजीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं है और इस बारे में कही गई सारी बातें काल्पनिक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की दृष्टि में रणनीतिक क्षेत्र के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है जिसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है। वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे के निजीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं है। इस बारे में कही गई बातें काल्पनिक हैं।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने लोकसभा में सरकार से आग्रह किया कि बसपा के संस्थापक दिवगंत कांशीराम को भारत रत्न प्रदान किया जाए। उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मांग की। उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लोकसभा सदस्य अली ने कहा कि कांशीराम की कल (15 मार्च) जयंती थी। उन्होंने समाज को एकजुट किया था। हमारी मांग है कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। मुझे उम्मीद है कि सरकार कांशीराम जी को भारत रत्न से सम्मानित करेगी।

राज्यसभा में जनजातीय समुदाय के विषय पर चर्चा हुई। राज्यसभा सांसद सुरेश गोपी ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर जो बातें की जाती हैं, राज्य स्तर पर उनका कार्यान्वयन नहीं हो पाता क्योंकि राजनीतिक मतभेद आड़े आ जाते हैं। यही बात आदिवासी कल्याण के मामले में भी होती है। पहले हमें अपने मतभेद दूर करने होंगे और देखना होगा कि अगर योजना अच्छी और लाभकारी है तो राज्य में उसे लागू किया जाए, चाहे उस राज्य में सरकार किसी भी दल की हो।

बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने कहा कि ओडिशा ने 2014 से अब तक विभिन्न समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए कम से कम सौ प्रस्ताव केंद्र के पास भेजे हैं जो अब तक लंबित हैं। टीएमसी (एम) के सदस्य जी के वासन ने कहा कि लगभग हर प्रदेश अपने यहां के किसी न किसी समुदाय को अनुसूचति जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग कर रहा है ताकि उस समुदाय को केंद्र की योजनाओं का लाभ मिल सके। इसके लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जाने चाहिए।

भाजपा सदस्य ब्रजलाल ने कहा कि आदिवासियों को आज भी दमन का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उच्च वर्ग द्वारा आदिवासियों की जमीन पर कब्जे के कई मामले आज भी सामने आते हैं। आज भी उनकी लड़कियां शोषण की शिकार होती हैं। वनोपज पर उनका अधिकार होता है लेकिन क्या यह हक उन्हें सचमुच मिल पाता है ? वहीं केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मैं खुद जनजातीय समुदाय का हूं और इस देश का कानून मंत्री हूं। यह अपने आप में बहुत बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा कि देश में आदिवासियों की आबादी करीब 8 फीसदी है। उनके मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाने के कारणों के बारे में, आदिवासियों के अपने विचारों के बारे में समझना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आदिवासी छोटे छोटे समूहों में रहते बसते हैं और उनकी बातें उनके मुद्दे उनके लिए बड़े होते हैं भले ही उनके समूह छोटे हों। उन्होंने कहा कि अपने मुद्दों को लेकर दिल्ली आने वाले आदिवासियों से मिलने के लिए पहले किसी के पास समय नहीं होता था।

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