भारतीय सेना का बर्खास्त जवान निकला हेरोइन तस्कर, 20 करोड़ का माल बरामद

नई दिल्ली डेस्क।  भारतीय सेना का बर्खास्त सिपाही मादक पदार्थो की तस्करी करने में लगा हुआ था। उसके कब्जे से पांच किलो हेरोइन बरामद की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में बरामद हेरोइन की कीमत करीब 20 करोड़ रुपये बताई जा रही है। हेरोइन म्यांमार से मणिपुर होकर भारत के अन्य हिस्सों में हेरोइन आती थी। आरोपी बर्खास्त सिपाही राजेश गुप्ता उर्फ फौजी बरेली के दो लोगों के निर्देश के बाद हेरोइन सप्लाई करता था। वह पुलिस से बचने के लिए हेरोइन को छिपाने के लिए बैग में सेना की वर्दी रखता था।

स्पेशल सेल डीसीपी राजीव रंजन सिंह के अनुसार एसीपी वेदप्रकाश की टीम को सूचना मिली थी कि मादक पदार्थों की तस्करी करने वाला अंतरराष्ट्रीय गिरोह मणिपुर, यूपी व दिल्ली आदि राज्यों में सक्रिय है। गिरोह के सदस्य म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से हेरोइन का कच्चा माल लेते थे। ये भी पता लगा कि हेरोइन की सप्लाई के लिए उत्तर-पूर्वी राज्यों के माध्यम से ट्रायएंगल (ल्हासा, थाइलैंड व म्यांमार) बनकर उभर रहा है। इंस्पेक्टर विवेकानंद पाठक व इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह को इस गिरोह के प्रमुख सदस्य कुशीनगर, यूपी निवासी राजेश गुप्ता के बारे में नौ मई को सूचना मिली थी कि वह बरेली के शिवम व पंकज के कहने पर हेरोइन की सप्लाई करने में लगा हुआ है। वह मणिपुर के लिमनथांग से हेरोइन की खेप लेता है।

आरोपी राजेश गुप्ता ट्रांस यमुना, दिल्ली निवासी विशाल को हेरोइन की खेप देने गांधी मार्केट, डीडीयू मार्ग, दिल्ली आएगा। एसीपी वेदप्रकाश की देखरेख में पुलिस टीम ने डीडीयू मार्ग पर घेराबंदी कर आरोपी गांव मथिया तहसील कप्तानगंज, कुशी नगर, यूपी निवासी राजेश गुप्ता(47) को गिरफ्तार कर लिया। इसके कब्जे से मोबाइल हैंडसैट व सिम कार्ड बरामद किया गया है।

राजेश गुप्ता ने पूछताछ में खुलासा किया है कि वह मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का हिस्सा है। वह पिछले करीब छह वर्षों से मादक पदार्थों की तस्करी की गतिविधियों में लिप्त है। आरोपी भारतीय सेना की नागा रेजिमेंट में सिपाही (जीडी) था। एक वित्तीय घोटाले में भारतीय सेना ने उसका कोर्ट मार्शल और बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद कोहिमा जेल भेज दिया गया। जेल में वह सुशील नाम के व्यक्ति के संपर्क में आया। सुशील के कहने पर कम समय में अधिक पैसा कमाने के लिए वह मादक पदार्थों की सप्लाई करने लगा। 

 राजेश गुप्ता मणिपुर निवासी लिमनथांग से हेरोइन की खेप लेता था। इसके बाद ये शिवम, पंकज व सुशील को देता था। पुलिस से बचने के लिए वह हेरोइन की सप्लाई के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा बसों व ट्रेन में सफर करता था। हेरोइन को छिपाने के लिए वह बैग में भारतीय सेना की वर्दी रखता था।  राजेश गुप्ता यूपी के कुशीनगर के स्थायी निवासी है। उसने 10वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की। उसका एक छोटा भाई और दो बहनें हैं। वह शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे हैं। वह वर्ष 1994 में सिपाही (जीडी) के रूप में सेना में भर्ती हुआ था। उसने सेना में 12 साल काम किया। वर्ष 2006 में, एक वित्तीय घोटाले में, उसे भारतीय सेना द्वारा कोर्ट मार्शल और बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद उसे कोहिमा जेल में डाल दिया गया था। जेल में वह सुशील नाम के व्यक्ति के संपर्क में आया जिसने उसे मादक पदार्थों की तस्करी में अपने साथ काम करने का लालच दिया। इसके बाद इन्होंने मणिपुर के ड्रग सप्लायर्स से हेरोइन खरीदकर सप्लाई करना शुरू कर दिया। 

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