38 साल बाद सिख विरोधी दंगों के 4 आरोपी कानपुर से अरेस्ट, हत्या के बाद बिल्डिंग में लगाई थी आग
कानपुर,(उत्तर प्रदेश)। यूपी के कानपुर में 1984 को सिख दंगा भड़क गया था। जिसमें 127 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। सिख विरोधी दंगे में जान गवाने 127 लोगों के परिवार आज भी न्याय के लिए गुहार लगा रहे हैं। दंगे की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी को बड़ी सफलता हाथ लगी है। बुधवार को एसआईटी ने चार आरोपियों को अरेस्ट किया है। चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा गया है। किदवई नगर थाना क्षेत्र स्थित निराला नगर में एक बिल्डिंग में दर्जनों सिख परिवार रहते थे। 01 नवंबर 1984 को दंगाईयों की भीड़ ने तीन मंजिला इमारत पर धावा बोल दिया था। दंगाईयों ने चार सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। जिसमें दंगाईयों ने रक्षपाल सिंह, भूपेंद्र सिंह को बिल्डिंग से नीचे फेंक दिया था। वहीं गुरूदयाल सिंह भाटिया और बेटे सतवीर सिंह भाटिया को गोली मार दी थी। इसके बाद दंगाईयों ने बिल्डिंग में लूटपाट करने के बाद आग के हवाले कर दिया था।
हत्या-डकैती की रिपार्ट हुई थी दर्ज
इस दर्दनाक घटना के बाद पड़ोस में रहने वाले वीरेंद्र सिंह ने किदवई नगर थाने में हत्या, डकैती का रिपोर्ट दर्ज कराई थी। डीआईजी एसआईटी बालेंदु भूषण सिंह का कहना है कि इस मामले में 28 आरोपियों को चिन्हित किया गया था। जिसमें से चार आरोपियों की घाटमपुर से अरेस्टिंग की गई है।
एसआईटी ने किया अरेस्ट
जिसमें घाटमपुर शिवपुरी में रहने वाले सफीउल्ला (64), जलाला गांव में रहने वाले योगेंद्र सिंह उर्फ बब्बन बाबा (65), विजय नारायण सिंह (68), अब्दुल रहमान (66) की गिरफ्तारी की गई है। इसके साथ एसआईटी जल्द ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी करने की बात कर रही है।
बीजेपी सरकार ने एसआईटी का किया था गठन
बीजेपी सरकार बनने के बाद सिख दंगे की जांच शुरू हुई थी। सिख विरोधी दंगे की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। इस हिंसा में कानपुर के अलग-अलग इलाकों में 127 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। साल 2019 में बीजेपी सरकार ने दंगे से जुड़े कानपुर में दायर सभी 1,251 मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।