भारत में मछुआरों को दी जाने वाली सब्सिडी रोकने से उनके परिवार होंगे प्रभावित

जिनेवा।  भारत में मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी से उनके परिवारों का गुजर-बसर होता है और डब्ल्यूटीओ समझौते के जरिए इसे रोकने से देश में लाखों मछुआरे और उनके परिवार गरीबी में चले जाएंगे। सूत्रों ने यह बात कही। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विकसित देश प्रस्तावित मत्स्य पालन सब्सिडी समझौते के तहत सब्सिडी को खत्म करने पर जोर दे रहे हैं। इस समझौते पर यह बातचीत चल रही है। चीन, यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिका जैसे देशों के विपरीत भारत एक बड़ा मत्स्य सब्सिडी प्रदाता नहीं है।

इस मद में चीन 7.3 अरब अमेरिकी डॉलर, ईयू 3.8 अरब डॉलर और अमेरिका 3.4 अरब डॉलर की सब्सिडी देता है। दूसरी ओर भारत ने छोटे मछुआरों को 2018 में सिर्फ 27.7 करोड़ डॉलर दिए।सीएमएफआरआई (सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट) की जनगणना 2016 के अनुसार देश में कुल समुद्री मछुआरों की आबादी 37.7 लाख है, जिसमें नौ लाख परिवार शामिल हैं। लगभग 67.3 प्रतिशत मछुआरे बीपीएल श्रेणी के अंतर्गत थे। एक सूत्र ने कहा कि भारत में मछुआरों को सब्सिडी सहायता बंद करने से लाखों मछुआरे और उनके परिवारों पर असर पड़ेगा और इससे गरीबी बढ़ेगी। भारत में समुद्र में मछली पकड़ने का काम छोटे पैमाने पर होता है और इससे लाखों लोगों को खाद्य सुरक्षा मिलती है। देश में औद्योगिक रूप से बड़े स्तर पर मछली नहीं पकड़ी जाती है।

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