सरकार ने रोकी बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया

  • सरकार ने बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया को रोक दिया है
  • सरकार ने कुछ वक्त के बाद रिवाइज्ड प्लान के साथ आने का फैसला किया है
  • मौजूदा समय में बीपीसीएल में सरकार की करीब 52.98 फीसदी की हिस्सेदारी है
  • एलआईसी की खराब लिस्टिंग भी सरकार के इस फैसले की वजह हो सकती है

मोदी सरकार ने बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया को रोक दिया है। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है। सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इनट्रेस्ट मंगाए जाने की प्रक्रिया को वापस ले लिया है। सरकार के अनुसार अधिकतर पार्टियां मौजूदा वैश्विक हालातों को देखते हुए निजीकरण की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले पा रही हैं। वहीं कई कोविड-19 लहरें और जियो पॉलिटिकल हालातों को ध्यान में रखते हुए भी यह फैसला लिया गया है। मुमकिन है कि एलआईसी को लोगों से मिली खराब प्रतिक्रिया भी इसकी बड़ी वजह हो सकती है।
सरकार की तरफ से बीपीसीएल को बेचने के लिए 7 मार्च 2020 को ग्लोबल इनविटेशन जारी किया गया था। सरकार ने बीपीसीएल में अपनी 52.98 फीसदी की हिस्सेदारी को बेचने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इनट्रेस्ट मांगे थे। अब सरकार ने इस प्रक्रिया को रोक दिया है। जिन कंपनियों की तरफ से रुचि दिखाई गई थी, उनके एक्सप्रेशन ऑफ इनट्रेस्ट को रद्द माना जाएगा। सरकार फिर से निजीकरण पर विचार कर के दोबारा निजीकरण की कोशिश करेगी।
सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के निजीकरण पर नए सिरे से विचार करने की तैयारी में है। एक अधिकारी का कहना है कि सरकार बीपीसीएल की बिक्री की शर्तों में भी बदलाव कर सकती है। अधिकारी ने कहा कि हरित और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बदलाव की वजह से मौजूदा शर्तों के साथ निजीकरण मुश्किल है। मौजूदा बाजार मूल्य पर बीपीसीएल की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को करीब 45,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते थे। बीपीसीएल के लिए तीन रुचि पत्र (ईओआई) मिले हैं। बीपीसीएल के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में वेदांता के अलावा निजी इक्विटी कंपनियां अपोलो ग्लोबल और आई स्कावयर्ड की पूंजीगत इकाई थिंक गैस शामिल हैं।

एलआईसी की खराब लिस्टिंग भी हो सकती है बड़ी वजह
करीब 8.11 फीसदी गिरकर डिस्काउंट के साथ 872 रुपये पर लिस्ट हुआ एलआईसी का शेयर अब तक करीब 15 फीसदी गिर चुका है और 811 रुपये पर आ गया है। इसकी कीमत 949 रुपये तय की गई थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते एलआईसी ने अपना वैल्युएशन भी घटाया था। पहले वैल्युएशन 12 लाख करोड़ रुपये आंका गया था, लेकिन बाद में वह घटकर सिर्फ 6 लाख करोड़ रुपये रह गया। पहले सरकार ने एलआईसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था, लेकिन बाद में उसे घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया गया। मुमकिन है कि दुनिया भर में हो रही तमाम गतिविधियों और हालातों के एलआईसी पर असर को देखते हुए भी सरकार ने बीपीएल के निजीकरण की प्रक्रिया को रोका हो।

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