गाजियाबाद की पूर्व डीएम निधि केसरवानी सस्पेंड, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए किया था भूमि अधिग्रहण में घोटाला
गाजियाबाद। योगी सरकार ने गाजियाबाद की पूर्व डीएम निधि को केसरवानी ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले को लेकर निलंबित किया है। आईएएस अधिकारी निधि केसरवानी वर्तमान में केंद्र सरकार में डिप्टी सेक्रेटरी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर में तैनात हैं। यह एक्सप्रेसवे 82 किलोमीटर लंबा है, जिसका निर्माण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया गया। एक्सप्रेसवे का 31.77 किमी हिस्सा गाजियाबाद में है। गाजियाबाद में परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की खातिर राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा-3ए की अधिसूचना आठ अगस्त 2011 को जारी हुई। इस धारा के तहत भूमि अधिग्रहण का इरादा जताया गया। वहीं धारा-3डी के तहत भूमि को अधिगृहीत किए जाने की अधिसूचना 2012 में जारी की गई। अधिगृहीत की जाने वाली भूमि का अवार्ड 2013 में घोषित हुआ।
अवार्ड के खिलाफ गाजियाबाद के चार गांवों-कुशलिया, नाहल, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ के किसानों ने आर्बिट्रेशन वाद दाखिल किए। 2016 और 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी/आर्बिट्रेटर ने नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के डीएम सर्किल रेट के चार गुणे की दर से मुआवजा देने के निर्णय किए। मामले की शिकायत होने पर तत्कालीन मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच कराई। 29 सितंबर 2017 को शासन को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में उन्होंने धारा-3डी की अधिसूचना के बाद जमीन खरीदने, आर्बिट्रेटर द्वारा प्रतिकर की दर बढ़ाने और बढ़ी दर से मुआवजा दिए जाने को गलत ठहराया।
मंडलायुक्त मेरठ की जांच के दायरे में आने वाले चार गांवों की अर्जित भूमि (क्षेत्रफल 71.1495 हेक्टेयर) का शुरू में जब अवार्ड घोषित हुआ था, तब मुआवजे के लिए कुल 111 करोड़ रुपये की धनराशि का आकलन किया गया था। आर्बिट्रेशन के तहत प्रतिकर की दरें बढ़ाए जाने से यह रकम तब 486 करोड़ रुपये हो गई थी।
आरोप है कि इस घोटाले में अधिकारियों ने शुरुआत में किसानों से सस्ते रेट पर जमीन खरीद ली और फिर उसे अपने रिश्तेदारों को खरीदवाकर सरकार को कई गुना ऊंचे रेट पर बिकवा दी गई थी। मेरठ मंडल के तत्कालीन आयुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने धारा-3डी की अधिसूचना के बाद प्रतिकर की दर बढ़ाने और बढ़ी दर से मुआवजा बांटने के लिए गाजियाबाद के तत्कालीन जिलाधिकारी विमल कुमार शर्मा और निधि केसरवानी समेत कई अधिकारियों-कर्मचारियों को जांच में दोषी पाया था। 2019 में योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस मामले में सीबीआइ जांच के लिए सिफारिश की गई थी।
आईएएस अधिकारी निधि केसरवानी वर्तमान में केंद्र सरकार में डिप्टी सेक्रेटरी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर में तैनात हैं। 2004 बैच की मणिपुर कैडर से आने वाली निधि केसरवानी के खिलाफ भूमि अधिग्रहण मामले में गड़बड़ी का आरोप है। वह 21 जुलाई, 2016 को गाजियाबाद की डीएम बनी थी। आईएएस निधि केसरवानी के खिलाफ कार्रवाई अब केंद्र सरकार को करनी है। प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा है। सरकार ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का भी आदेश दिया है।