इंटरेक्टिव आजाद गैलरी में हर क्रांतिकारी की मूर्तियां सुनाएंगी उनसे जुड़ीं वीरगाथा
प्रयागराज। इलाहाबाद संग्रहालय में 1857 से 1947 के संघर्ष पर आधारित देश की पहली इंटरेक्टिव आजाद गैलरी की नई डिजाइन तैयार की गई है। नेशनल काउंसिल ऑफ साइंसेज म्यूजियम(एनसीएसएम) की ओर से बनाई गई इस डिजाइन में अब सेंट्रल हॉल को हटा दिया गया है।
इसके तहत अब सेंट्रल हाल में दीर्घा नहीं बनेगी। नई डिजाइन को लागू कराने के लिए राष्ट्रीय संग्रहालय विज्ञान परिषद के क्यूरेटरों की दो सदस्यीय टीम ने अब तक की तैयारियों का जायजा लिया। इस दीर्घा का आधुनिकीकरण किया जाएगा। इस दीर्घा में जिस प्रतिमा के पास जाएंगे, उससे जुड़ी कहानियां वह खुद-ब-खुद सुनाएगी। इस गैलरी के निर्माण पर 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आजाद गैलरी की नई डिजाइन पर काम कराने के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ साइंसेज म्यूजियम(एनसीएसएम) की दो सदस्यीय टीम क्यूरेटर तापस मौराना के नेतृत्व में पहुंची। इस टीम ने गैलरी के आधुनिकीकरण के उपायों की संग्रहालय के अफसरों से जानकारी ली। यह देश की पहली डिजिटल गैलरी होगी, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन की हर क्रांति को लाइट और साउंड के माध्यम दिखाया जाएगा। इसमें हर क्रांतिकारी की मूर्तियां उनसे जुड़ी वीरगाथा को खुद सुनाएंगी।
इसके तहत अब सेंट्रल हाल में दीर्घा नहीं बनेगी। नई डिजाइन को लागू कराने के लिए राष्ट्रीय संग्रहालय विज्ञान परिषद के क्यूरेटरों की दो सदस्यीय टीम ने अब तक की तैयारियों का जायजा लिया। इस दीर्घा का आधुनिकीकरण किया जाएगा। इस दीर्घा में जिस प्रतिमा के पास जाएंगे, उससे जुड़ी कहानियां वह खुद-ब-खुद सुनाएगी। इस गैलरी के निर्माण पर 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आजाद गैलरी की नई डिजाइन पर काम कराने के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ साइंसेज म्यूजियम(एनसीएसएम) की दो सदस्यीय टीम क्यूरेटर तापस मौराना के नेतृत्व में पहुंची। इस टीम ने गैलरी के आधुनिकीकरण के उपायों की संग्रहालय के अफसरों से जानकारी ली। यह देश की पहली डिजिटल गैलरी होगी, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन की हर क्रांति को लाइट और साउंड के माध्यम दिखाया जाएगा। इसमें हर क्रांतिकारी की मूर्तियां उनसे जुड़ी वीरगाथा को खुद सुनाएंगी।