छत्तीसगढ़ के भरत कुमार ने चंद्रयान-3 का हिस्सा बन रचा इतिहास

छत्तीसगढ़ डेस्क। प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है। हौसले बुलंद हो तो अभावों की दीवार टूट जाती है। इसे चरितार्थ कर दिखाया है भिलाई के भरत कुमार ने। गरीबी में पले-बढ़े भारत के पास स्कूल में फीस भरने के पैसे नहीं थे। नौवीं क्लास में स्कूल की तरफ से टीसी दे दिया गया था। इसके बावजूद भरत ने मेहनत नहीं छोड़ी और कुछ लोगों की मदद से आगे की पढ़ाई को जारी रखा। इसके बाद मेरिट के आधार पर आईआईटी धनबाद में चयन हो गया। दूसरे लोगों की मदद से वहां दाखिला हो गया और पढ़ाई पूरी होने के बाद इसरो में चयन हो गया। भरत ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में बड़ी भूमिका निभाई है।

मां लगाती है इडली की टपरी

मां लगाती है इडली की टपरी

दरअसल, चंद्रयान-3 की टीम में शामिल भरत कुमार भिलाई के चरौदा के रहने वाले हैं। यहां कोयला खनन का काम होता है। भरत कुमार के पिता एक बैंक में गार्ड हैं। मामूली कमाई से घर चलाना मुश्किल था। ऐसे में भरत की मां ने चरौदा में इडली और चाय का ठेला लगाना शुरू कर दिया। इससे थोड़ी बहुत आमदनी बढ़ गई और बच्चों की पढ़ाई लिखाई शुरू हो गई।

मां के ठेले पर भरत ने धोईं प्लेटें

मां के ठेले पर भरत ने धोईं प्लेटें

पिता बैंक में ड्यूटी करते थे। मां इडली का ठेला लगाती थी। भरत अपनी पढ़ाई के साथ मां की मदद करने के लिए ठेले पर पहुंच जाते थे। मां की टपरी पर बैठकर भरत प्लेट धोने का काम करते थे। साथ ही आने वाले ग्राहकों को चाय भी देते थे। इसके साथ ही भरत अपनी पढ़ाई में भी कोई कमी नहीं की।

स्कूल में कट गया नाम

स्कूल में कट गया नाम

भरत की स्कूली पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय चरौदा में हुई है। जब भरत नौवीं में था, तब फीस की दिक्कत से टीसी कटवाने की नौबत आ गयी थी। पर स्कूल ने फीस माफ की और शिक्षकों ने कॉपी-किताब का खर्च उठाया। भरत ने 12 वीं मेरिट के साथ पास की और उसका आईआईटी धनबाद के लिए चयन हुआ। फिर आर्थिक समस्या आड़े आई तो रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और जिंदल ग्रुप ने भरत का सहयोग किया।

IIT में भरत ने गोल्ड मेडल हासिल किया

IIT में भरत ने गोल्ड मेडल हासिल किया

भरत ने अपनी प्रखर मेधा का परिचय आईआईटी धनबाद में दिया। 98 प्रतिशत के साथ आईआईटी धनबाद में गोल्ड मेडल हासिल किया। वहीं, भरत इंजीनियरिंग के 7वें सेमेस्टर में था, तब इसरो में वहां से अकेले भरत का प्लेसमेंट हुआ था। भरत इस चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा है।

भरत के परिवार को है गर्व

भरत के परिवार को है गर्व

वहीं, बेटे की सफलता पर परिवार को गर्व है। पिता चंद्रमौलि ने कहा कि वह पढ़ने में काफी तेज था। उसे कभी पढ़ने के लिए नहीं कहते थे। रात में डांटने के बाद ही वह सोता था। स्कूल कभी गैप नहीं करता था। वह 12वीं तक सेंट्रल स्कूल में ही पढ़ता था।

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