सेना के जवान को स्कॉर्पियो में उठाकर ले गए, सरिया और लाठियों से पीटा, इलाज के दौरान तोड़ा दम
फिरौती के लिए बनाया बंधक, मौत तक की पिटाई,मां-बेटा गिरफ्तार, अन्य की तलाश जारी
झुंझुनूं/राजस्थान। झुंझुनूं जिले से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात सामने आई है, जहां ड्यूटी पर लौट रहे भारतीय सेना के हवलदार का किडनैप कर बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। फिरौती की फिराक में अपहरण किया गया यह जवान अंतत: जिंदगी की जंग हार गया। इस दिल दहला देने वाले अपराध में पुलिस ने मां-बेटे समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि कुछ की तलाश अब भी जारी है।
पुलिस कप्तान देवेन्द्र सिंह राजवात ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि घटना 10 जून की शाम की है। 18 राज राइफल्स में तैनात हवलदार विक्रम सिंह (40) ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकले थे, लेकिन रास्ते में गांव के ही दबंग युवकों ने स्कॉर्पियो में उन्हें जबरन उठाकर किडनैप कर लिया। अविनाश उर्फ घघला और मनीष उर्फ सोनू, दोनों किढवाना गांव निवासी, अपने साथियों संग विक्रम सिंह का पीछा करते हुए बड़सरी का बास तक पहुंचे और वहीं से उन्हें गाड़ी में डालकर अमरपुरा कलां स्थित अपने घर ले गए।
एसपी ने बताया कि गांव में पहुंचते ही आरोपियों ने फौजी से मारपीट शुरू कर दी। उनकी मां जानकी देवी भी इस क्रूरता में शामिल थी। विक्रम के परिजनों से फिरौती की मांग की गई, और जब तक रुपए नहीं मिले, तब तक उन्हें सरियों, लाठियों और धारदार हथियारों से पीटा जाता रहा। रात करीब 9 बजे, जब विक्रम सिंह की हालत गंभीर हो गई, तो उन्हें घर के बाहर सड़क पर पटककर आरोपी फरार हो गए।
गंभीर रूप से घायल जवान को पहले सूरजगढ़ सीएचसी और फिर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रात 2:30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। गुरुवार को विक्रम सिंह का अंतिम संस्कार किया गया, जहां उनके बेटे और बेटियों ने नम आंखों से पिता को अंतिम विदाई दी। झुंझुनूं पुलिस ने तीन आरोपियों, जानकी देवी (45), अविनाश उर्फ घघला (26), और मनीष उर्फ सोनू (28) को गिरफ्तार कर लिया है। जहां जानकी देवी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, वहीं दोनों युवकों को पुलिस रिमांड पर लिया गया है। वारदात में इस्तेमाल हथियार और काली स्कॉर्पियो भी जब्त कर ली गई है। पुलिस अब घटना में शामिल अन्य साथियों की तलाश में लगातार दबिश दे रही है।
पुलिस अधीक्षक देवेंद्र सिंह राजावत के निर्देशन में दो टीमों का गठन किया गया, जिनमें थाना सूरजगढ़ के हेमराज उनि, राजकुमार, प्रवीण कुमार, महेश, अजमता, जगदीश प्रसाद, धर्मेन्द्र, अशोक, त्रिवेन्द्र, राकेश शामिल रहे। इनकी तेज कार्रवाई से हत्या की इस वारदात की गुत्थी महज 4 दिन में सुलझा दी गई। गांव में माहौल गमगीन है। एक बहादुर सैनिक, जो देश की सरहदों की रक्षा करता रहा, अपने ही गांव में अपनों के बीच जान गंवा बैठा। इस घटना ने न सिर्फ इलाके को दहला दिया है, बल्कि पूरे राज्य में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।