अमेरिकी एयर फोर्स को मिली पहली इलेक्ट्रिक टैक्सी, नासा कर रहा है टेस्टिंग

कैलिफोर्निया में Joby Aviation's electric द्वारा अमेरिकी वायु सेवा को पहली इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी दी गई है और यह इलेक्ट्रिक टेकऑफ और लैंडिंग एयरक्राफ्ट अर्थात eVTO नाम से बताया गया है। वास्तव में यह एक उड़ने वाली कार आप कह सकते हैं, जिसकी 2 साल से टेस्टिंग हो रही थी।

यह एक जबरदस्त खबर है और जैसे जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है हवा में आसानी से उड़ने की कल्पना साकार होती जा रही है। आपको बता दें कि कैलिफोर्निया में Joby एविएशन की इलेक्ट्रिक द्वारा अमेरिकी वायु सेवा को पहली इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी दी गई है और यह इलेक्ट्रिक टेकऑफ और लैंडिंग एयरक्राफ्ट अर्थात eVTO नाम से बताया गया है। वास्तव में यह एक उड़ने वाली कार आप कह सकते हैं, जिसकी 2 साल से टेस्टिंग हो रही थी। अब यह अमेरिका एयर फोर्स के पास मौजूद है।
शुरुआत में इसे शहरी और हवाई यातायात को मैनेज करने के लिए उसे बेटर बनाने के लिए टेस्टिंग की जा रही है, और इसमें नासा द्वारा मदद भी दी जा रही है। नासा की एडवांस्ड एयर मोबिलिटी मिशन के अनुसार यह आने वाले भविष्य की एक तस्वीर है। हालांकि अभी इसे मैंस लेवल पर डेवलप होने में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर पायलट और एडवांस हार्डवेयर कई सारी चीज लानी होगी। ताकि इसे बड़े लेवल पर लॉन्च किया जा सके और इसी के लिए टेस्टिंग की जा रही है, लेकिन जाहिर तौर पर यह एक क्रांतिकारी कदम है।
अगर बात करें आसानी से हवा में उड़ने की तो यह किस प्रकार से मैनेज होगा यह देखने वाली बात होगी। सबसे खास बात यह है कि इसे कहां-कहां यूज किया जा सकता है। इसकी उस एबिलिटी पर भी टेस्टिंग हो रही है जैसे जंगल में आग बुझाने में या फिर किसी इमरजेंसी सर्विस में, जाहिर तौर पर यह एक क्रांतिकारी कदम होगा और जब बात नासा की आती है तो उसकी क्रेडिबिलिटी इसकी कमियों को बेहतरीन ढंग से पहचान कर सुधारने में काफी मदद कर सकती हैं।
अर्थात नासा की फ्लाइट टेस्ट में eVTO एयरक्राफ्ट के सफल होने पर आने वाले एक-दो सालों में देश में आम इंसान भी इसका उपयोग संभवतः कर सकें। यह एक नई तरह की एविएशन इंडस्ट्री होगी और इसके लिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि एयरक्राफ्ट की टेक्नोलॉजी इसके उड़ाने के तरीके और बहुत सारी चीजों से यह गुजरेगा। आपको बता दें कि इस एयरक्राफ्ट के फ्लाई टेस्टिंग के दौरान 50 से ज्यादा माइक्रोफोन का उपयोग नासा द्वारा किया जा रहा है ताकि इसके फायदे नुकसान पर बहुत बारीक नजर रखी जा सके। इसमें साउंड पॉल्यूशन से लेकर दूसरी अन्य चीज शामिल हैं।

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