भारत की वो जगह, जहां गणेश जी ने लिखी थी महाभारत

The place in India where Lord Ganesha wrote the Mahabharata

उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के पास स्थित माणा गांव ही वह जगह है, जहां दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य लिखा गया था। इस महाकाव्य को लिखने में वेद व्यास को गणेश जी की सहायता लेनी पड़ी थी। गणेश जी ने महाभारत का लेखन किया था। इसके साथ ही यहां उनके साथ एक ऐसी घटना हुई थी, जिसके बाद वह एकदंत कहलाने लगे थे।

प्रकृति की अनुपम छटा

प्रकृति की अनुपम छटा

उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी सड़क मार्ग से तय करने के बाद तीर्थयात्री भारत के सीमावर्ती प्रथम गांव माणा पहुंचते हैं। यहां से लगभग 300 मीटर की दूरी सीढ़ीनुमा पथरीली चढ़ाई से पार कर गणेश गुफा और गणेश गुफा से लगभग 50 मीटर की दूरी पैदल नापने के बाद व्यास गुफा मिलती है। इस जगह पर प्रकृति की अनुपम छटा और अलौकिक शांति का अनुभव होता है, जिसके इर्द-गिर्द द्रोपति मंदिर, भीम पुल और सरस्वती नदी जैसे कई दर्शनीय स्थल हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज से हजारों वर्ष पूर्व इसी पुरातन स्थान पर महर्षि वेदव्यास और मां पार्वती तथा शंकर नंदन गणेश जी ने महाभारत की रचना की थी।

व्यास ने किया था महाभारत का वाचन

व्यास ने किया था महाभारत का वाचन

इन गुफाओं में पूजा पाठ का काम देख रहे पुजारी बताते हैं कि व्यास गुफा नामक स्थान से महर्षि वेदव्यास ने महाभारत का वाचन किया था और इस गुफा से लगभग 50 मीटर नीचे मौजूद गणेश गुफा में बैठकर गणेश जी ने इस पूरी महाभारत कथा को लेखनी दी। कहा जाता है कि इस दौरान महर्षि वेदव्यास और गणेश जी के मध्य एक समझौता हुआ था कि गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास से कहा कि मेरी लेखनी बहुत तेज है और यदि आप मुझसे महाभारत लिखवाना चाहते हैं तो आप बीच में रुकेंगे नहीं। अगर आप रुके तो मैं लेखनी बंद कर दूंगा।

यूं लिखा गया महाभारत

महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी के इस समझौते को स्वीकार कर महाभारत का वाचन प्रारंभ किया और गणेश जी महाराज ने गणेश गुफा में बैठकर इसको लिखना शुरू किया। पुजारी बताते हैं कि गणेश जी की लेखनी इतनी प्रबल थी कि जब व्यास जी ऊपर से महाभारत के अध्याय कहते तो गणेश जी उनको लिख लेते और वेदव्यास के दूसरे अध्याय बोलने तक अपने अन्य काम भी निपटा लेते थे।

गणेश जी बन गए एकदंत

गणेश जी बन गए एकदंत

गणेश जी का नाम एकदंत भी इसी गुफा से पड़ा है। पौराणिक दंत कथाओं के अनुसार जब गणेश जी महाभारत को लेखनी प्रदान कर रहे थे उस बीच उनकी कलम टूट गई और महाभारत का लेखन न रुके इसलिए गणेश जी ने अपने लंबे लंबे दो दातों में से एक दांत तोड़ कर लिखना जारी रखा इसलिए गणेश जी की पूजा आज भी एकदंत के रूप में की जाती है।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

शयद आपको भी ये अच्छा लगे
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।