कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से बाहर स्थानांतरित करने की मांग दोहराई
जम्मू। वर्ष 2008 में घोषित प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत चयनित किए जाने के बाद से लगभग चार हजार कश्मीरी पंडित घाटी में विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं। पैकेज में दो प्रमुख घटक हैं -पहला, युवाओं के लिए छह हजार नौकरियों के प्रावधान से संबंधित है और दूसरा कर्मचारियों के लिए छह हजार आवास इकाइयों से संबंधित है। प्रदर्शनकारी श्वेता भट्ट ने कहा, “हमारा प्रदर्शन घाटी से हमारे स्थानांतरण के लिए चल रहे आंदोलन का हिस्सा है क्योंकि हम वहां सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। हम जम्मू पहुंच गए हैं जबकि हमारे सहयोगी पिछले 31 दिनों से घाटी में प्रदर्शन कर रहे हैं।” भट्ट ने कहा, “हम क्षेत्र में काम कर रहे हैं और अवसादग्रस्त महसूस कर रहे हैं और डर की वजह से अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं।”
उन्होंने घाटी के भीतर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के सरकारी आश्वासन को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी कर्मचारी सरकारी लॉलीपॉप में नहीं फंसेंगे क्योंकि हमारी जिंदगी दांव पर है। उन्होंने कहा, “सरकार स्थिति सामान्य होने तक हमें घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित कर दे।” एक अन्य प्रदर्शनकारी अजय कुमार ने कहा, हम कर्मचारी सेवा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन स्थिति हमारे अनुकूल नहीं है। हम तब लौटेंगे जब सरकार यह घोषणा करेगी कि कश्मीर आतंकवाद-मुक्त हो गया है।