पेड़-पौधों को बचाने के लिए हुआ था चिपको आंदोलन
छात्रों ने वन सम्पदा को सुरक्षित रखने का लिया संकल्प
खागा,(फतेहपुर)। विश्व वानिकी दिवस पर सोमवार को हरदों गांव स्थित चंद्रशेखर आजाद विद्या मंदिर में बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने भईया-बहनों को वनों की महत्ता पर विस्तार से जानकारी दी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वन, जीव-जंगल हमारी प्राकृतिक धरोहरें हैं। इनकी सुरक्षा के प्रति हम सभी को अपना कर्तव्य निभाना होगा। सभी छात्रों ने वनों की रक्षा का संकल्प लिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि हमारे देश में वर्ष 1950 से 21 मार्च को विश्व वन दिवस मनाया जा रहा है। भारत में वनों की रक्षा के लिए लोगों में शुरुआत से ही जागरुकता देखने को मिली है। इसका उदाहरण चिपको आंदोलन है। 1970 में पेड़ों को काटे जाने के विरोध लोगों ने बड़ी संख्या में इस आंदोलन में भाग लिया था। आंदोलन के दौरान लोग पेड़ों से चिपक जाते थे, तांकि उन्हें काटा न जा सके। 1971 में यूरोपीय कृषि परिसंघ ने पहली बार वानिकी दिवस मनाने का ऐलान वैश्विक रूप से किया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बिना वन के जीवन बेहद मुश्किल है। वन संपदा ही है जो मानव जीवन को आसान बनाने में मदद करती है। ज्यादातर विशेषज्ञ मजबूती के साथ दावा करते हैं कि वनों के बिना जीवन की कल्पना करना बेबुनियाद है। ऐसे में वन संरक्षण को लेकर हमें अधिक सजग रहने की जरूरत है। कहा कि जल और वन हैं तभी कल सुरक्षित है। इनके बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी बेबुनियाद है। बीके सिंह, सुशील अवस्थी, प्रिया यादव, लवली सिंह, अनुराग मिश्र, लक्ष्मी सिंह, नेहा पाल, पल्लवी सविता, शालिनी यादव, प्रधानाचार्य सर्वेश सिंह, शैलेंद्र तिवारी आदि लोग रहे। इसी प्रकार पंडित सूर्यपाल रमाशंकर राममूरत पाण्डेय निष्पक्ष देव विद्या मंदिर इंटर कालेज गुरसंडी में भी बच्चो ने पेड़ो को बचाने का संकल्प लिया।