डॉक्टर की लापरवाही से महिला सिपाही की मौत, 9 साल बाद चिकित्सक पर दर्ज हुआ केस

Female constable dies due to doctor's negligence, case registered against doctor after 9 years

आगरा/उत्तर प्रदेश। 9 साल पुराने महिला कॉन्‍स्‍टेबल के इलाज में लापरवाही और गलत दवा देने के मामले में डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। आरोप है कि डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन दिया था, जिसके कारण महिला सिपाही की किडनी और हार्ट ने काम करना बंद कर दिया। महिला सिपाही का आगरा से दिल्ली तक कई अस्पतालों में इलाज चला। इस दौरान 3 करोड़ रुपये खर्च हो गए, 1 करोड़ का कर्ज हो गया मगर उसकी जान नहीं बच सकी। जनवरी 2023 में महिला सिपाही की मौत हो गई। पति ने कोर्ट के माध्यम से डॉक्टर और अन्य के खिलाफ धारा 304, 337 और 338 के तहत केस दर्ज कराया है।
मामला साल 2015 का है। मैनपुरी के रहने वाले आदेश कुमार मुख्य आरक्षी हैं। उनकी पत्नी प्रियंका यादव पुलिस में सिपाही थीं। साल 2015 में गर्भवती होने के दौरान आदेश ने अपनी पत्नी को शाहगंज के आशीर्वाद अस्पताल में भर्ती कराया। डॉ.रत्ना शर्मा उनकी पत्नी का इलाज कर रही थीं। आदेश कुमार ने बताया कि 13 मार्च 2015 को वह अपनी पत्नी प्रियंका को डिलीवरी के लिए अस्पताल ले गए। 14 मार्च को डॉक्टर रत्ना शर्मा ने प्रियंका का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन से एक बेटी का जन्म दिया। ऑपरेशन के बाद प्रियंका की तबियत बिगड़ने लगी। उसे हैवी पेन किलर दिए गए। अगले दिन जब प्रियंका को होश आया तो उसे सांस लेने में दिक्कतें होने लगीं।
चिकित्सक रत्ना शर्मा ने प्रियंका को एमजी रोड स्थित दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया। यहां कई चिकित्सकों ने उसका इलाज किया, मगर हालात में सुधार नहीं हो सका। 8 साल तक प्रियंका का करीब 50 अलग-अलग अस्पतालों में इलाज होता रहा, मगर उसकी जान नहीं बच सकी। जनवरी 2023 में प्रियंका की मौत हो गई।
आदेश कुमार आगरा कैंट जीआरपी थाने में तैनात हैं। वे मैनपुरी जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया की डॉक्टर की लापरवाही ने उसका परिवार उजाड़ दिया है। उसकी छोटी सी मासूम बेटी अपनी मां के सुख से वंचित रह गई। डॉक्टर ने उनकी पत्नी को मानकों के विपरीत दवाएं दीं। उसे हैवी पेन किलर दिए गए जिसकी वजह से उसकी किडनी और हार्ट ने काम करना बंद कर दिया। साल 2016 में किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद भी वह अपनी पत्नी की जान नहीं बचा सके। इस तरह 8 साल तक चले इलाज में उसके 3 करोड़ खर्च हो गए। अब भी उसके ऊपर 1 करोड़ का कर्जा बाकी है।
आदेश कुमार ने बताया कि डॉक्टर की लापरवाही का मामला उसने थाना पुलिस को बताया, लेकिन थाने से उन्हें कोई राहत नहीं मिल सकी। इसके बाद उन्‍होंने पुलिस कमिश्नर से भी पत्राचार किया, प्रस्तुत होकर शिकायतें कीं, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत के आदेश के बाद चिकित्सक रत्ना शर्मा और अन्य के खिलाफ धारा 304, 337 और 338 में केस दर्ज हुआ है। आदेश का कहना है कि ऐसे डॉक्टरों का अस्पताल चलने योग्य नहीं है। जब तक अस्पताल सील नहीं होगा। तब तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

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