पूर्वांचल की रानी जयराज कुंवरि ने राम मंदिर ध्वस्त करने वाले मुगल सेनापति मीरबांकी का किया था खात्मा

Queen Jairaj Kunwari of Purvanchal had killed the Mughal commander Mirbanki who destroyed the Ram temple.

उत्तर प्रदेश/डेस्क। एक ऐसी कहानी, जिसने पूर्वांचल के इतिहास को पढ़ने पर मजबूर कर दिया है। यह सिर्फ कहानी नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और मुगलों के बीच का वह किस्सा है, जिसे लगभग 500 सालों तक लोगों को जंग का एहसास कराती रही है। हम बात कर रहे हैं, वर्ष 1528 की। जब मीरबांकी ने राम मंदिर को ध्वस्त करके बाबरी मस्जिद की नींव रखी थी। इसके बाद से अपने अराध्य प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान मंदिर के लिए लाखों हिंदुओं ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। राम मंदिर को तोड़े जाने के बाद से लाखों हिन्दू अपने वजूद के लिए लड़ रहे थे। इतना ही नहीं, मुगल काल तक हिंदू अपने मर्यादा पुरुषोत्तम के लिए लड़ते रहे। उनका यह विश्वास था कि एक दिन जरूर उनकी विजय होगी। वर्तमान समय में महारानी जयराज कुंवरि की हवेली को हंसवर स्टेट के नाम से जाना जाता है। आजमगढ़, अम्बेडकर नगर बॉर्डर पर महाराजा रणविजय सिंह की 600 साल पुरानी हवेली आज भी स्थित है। यह उस कहानी को प्रदर्शित करती है।
1528 से लेकर साल 2024 में हुई मंदिर स्थापना की इस जंग में भले ही हिंदू विजयी हुए हों, लेकिन मंदिर- मस्जिद की इस लड़ाई को नहीं भुलाया जा सकता है। इस कहानी का सबसे दिलचस्प किस्सा मीरबांकी की मौत से शुरू होता है। आजमगढ़ और अवध के बॉर्डर पर बसे एक गांव, जिसका नाम हंसवर था, ने मीरबांकी की मौत की एक शानदार कहानी लिख डाली थी। बाबरी मस्जिद की स्थापना का साल था। महाराज रणविजय सिंह अपने महल की तरफ से आजमगढ़ होते हुए तीर्थ यात्रा पर निकले ही थे। उन्हें पता चला कि मीरबांकी राम मंदिर को ध्वस्त करने के लिए निकल चुका है। जब तक कोई कुछ समझ पाता, तब तक मीरबांकी ने अयोध्या राम मंदिर को धवस्त करके बाबरी मस्जिद की नींव डाल दी थी।
महाराजा ने की युद्ध की घोषणा
महाराजा रणविजय सिंह ने मीरबांकी से युद्ध की घोषणा कर दी। 28 हजार की सेना लेकर अयोध्या की तरफ चल दिए। कई हफ्तों तक चले इस भीषण युद्ध में आखिरकार महाराज रणविजय सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए। मीरबांकी का हौसला बुलंद होता गया। हालांकि, मीरबांकी को यह समझ नहीं आया कि महाराजा की एक पत्नी भी हैं। वह उनकी ही तरह योद्धा हैं। परिणाम यह रहा कि वीरगति को प्राप्त हुए महाराजा रणविजय सिंह की पत्नी जयराज कुंवरि ने प्रण ले लिया कि बिना मीरबांकी की मौत के वह चैन की सांस नहीं लेंगी। युद्ध की रणनीति तैयार करती रहीं। इसी क्रम में महारानी जयराज ने एक ऐसी सेना तैयार की, जिसने भारत में एक नया इतिहास रच दिया।
भारत की पहली महिला सेना
महारानी जयराज कुंवरि ने भारत की पहली ऐसी सेना बनाई, जिसमें 3000 महिलाओं ट्रेनिंग देकर शामिल किया गया। ये महिलाएं युद्ध कला में पारंगत की गई थी। भारतीय इतिहास में प्रशिक्षित महिला बटालियन का यह पहला किस्सा था। महिलाओं की सेना ने मीरबांकी को मौत के घाट उतार दिया। उन्हीं के वंशज रहे वर्तमान अंबेडकर नगर के पास बसखारी क्षेत्र से ब्लॉक प्रमुख कुंवर संजय सिंह ने उनकी विरासत को 500 सालों से अब तक संभाल कर रखा है। देश के कोने- कोने से लोग इस हवेली को देखने के लिए आते है। आजमगढ़ और अंबेडकर नगर बॉर्डर पर पहुंचने के बाद हवेली की याद हर शख्स के मन में गूंज उठती है। लोग इसे देखने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कई एकड़ में फैले इस हवेली के कई द्वार बनाए गए हैं।

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