राम मंदिर में रही गोरखपीठ की तीन पीढ़ियों की महत्वपूर्ण भूमिका, 1949 से महंत दिग्विजय नाथ ने शुरू कर दी थी कवायद

Three generations of Gorakhpeeth played an important role in Ram temple, Mahant Digvijay Nath had started the exercise from 1949.

गोरखपुर/उत्तर प्रदेश। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर चल रही तैयारियां अंतिम दौर में है। आगामी 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही मंदिर का उद्घाटन भी भी होना है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए पंडित द्वारा 84 सेकेंड का समय भी मुहूर्त के हिसाब से निकाला गया है। लेकिन राम मंदिर निर्माण को लेकर जितने भी आंदोलन हुए उन सभी में कहीं ना कहीं गोरक्ष पीठ और नाथ संप्रदाय के तीन पीढियां की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का शोर हर तरफ सुनाई दे रहा है। प्रदेश में इसको लेकर उत्सव का माहौल हैष उत्सव को भव्य बनाने के लिए हर जगह समारोह की तैयारी की जा रही हैं, क्योंकि आगामी 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री मोदी श्री राम प्रभु की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा एवं मंदिर का उद्घाटन करेंगे। इसको लेकर तैयारियां भी जोरों पर चल रही हैं। वहीं गोरखपुर और राम मंदिर का आपस में एक बेहद खास जुड़ाव भी है। इसकी एक विशेष बात यह है कि अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना को लेकर पूर्व में हुए आंदोलनों और लड़ाई के अग्रदूत रहे, गोरखनाथ पीठाधीश्वर एवं ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथ जी आज इस दुनिया में नहीं है। हालांकि उनके द्वारा लड़ी गई लड़ाई को आज अंतिम रूप मिलता नजर आ रहा है।
राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारी पूरी कर ली गई है। इसको लेकर निमंत्रण कार्ड भी बांटे गए हैं। शनिवार को मंदिर समिति से जुड़े चंपत राय का निमंत्रण भी ब्रह्मलीन महंत दिगविजय नाथ और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी के लिए आया है। हालांकि सूबे के मुख्यमंत्री और अवैद्यनाथ जी के शिष्य योगी आदित्यनाथ खुद मंदिर निर्माण और प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बेहद सक्रिय है और इससे जुड़ी सारी मॉनिटरिंग खुद कर रहे हैं।
सर्वप्रथम 1949 में जब पहली बार अयोध्या में श्री राम मंदिर और रामलला के अस्तित्व की बात सामने आई तो तब भी तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत दिग्विजय नाथ और उनके कुछ साथियों द्वारा उक्त स्थान पर भजन कीर्तन आयोजित किया गया था, जिसके मुखिया स्वयं दिग्विजय रहे। वर्ष 1984 से लेकर 86 के बीच जब पहली बार कोर्ट के आदेश पर विवादित स्थल का ताला खोला गया था, तब भी तत्कालीन महंत रहे अवैद्यनाथ वहां मौजूद थे। उनके सामने ही विवादित परिसर का ताला खोला गया था, जिसके साक्षी वह भी थे।
अयोध्या में राम मंदिर को लेकर आंदोलन की शुरुआत भी तभी से हो गई थी। महंत परमहंस दास और महंत अवैद्यनाथ इसके अगुआ थे। हालांकि अवैद्यनाथ की छवि शुरू से ही एक शांतिप्रिय और बेहद सुलझे हुए संत की रही हैं। उन्होंने समाज में भेदभाव छूत अछूत की भावना को खत्म करने को लेकर भी कई आंदोलन और कार्य किए। लेकिन आज जब उनका सपना साकार होने की तरफ अग्रसर है तो वह यहां मौजूद नही है। मंदिर की देखरेख करने वाले द्वारका तिवारी कहते हैं कि भले ही वह खुद अपनी आंखों से श्री राम मंदिर निर्माण को देखने के लिए उपस्थित ना हो लेकिन वह जहां भी है, वहीं से इस अद्भुत नजारे को देखेंगे ऐसा हम सभी का विश्वास है। उनके द्वारा किए गए योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। चाहे बड़े महंत जी रहे हों या छोटे महंत या अब तीसरी पीढ़ी के माननीय मुख्यमंत्री योगी महराज जी।
मंदिर में मूर्ति स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सभी जगह निमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं। कार्यक्रम को भव्य बनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। ऐसे में मंदिर समिति के प्रमुख चंपत राय की तरफ से गोरखनाथ मंदिर के पूर्व पीठाधीश्वर रहे ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज और ब्रह्मलीन महत्व अवैद्यनाथ नाथ जी महाराज दोनों को निमंत्रण भेजा गया है। उम्मीद की जा रही है की कहीं ना कहीं यह दोनों दिव्या आत्माएं भी इस कार्यक्रम में जरूर उपस्थित होंगी।
निमंत्रण पत्र लेकर गोरखनाथ मंदिर पहुंचे लखनऊ क्षेत्र के विश्व हिंदू परिषद के धर्म प्रचारक प्रदीप पांडेय ने कहा कि नाथ संप्रदाय और गोरक्ष पीठाधीश्वर का अयोध्या में बन रहे श्री राम प्रभु के मंदिर से जुड़े आंदोलन में महत्वपूर्ण और विशेष भूमिका रही है। पीठ की तीन पीढ़ियों ने मंदिर निर्माण को लेकर अग्रदूत की भूमिका निभाई है और हर पल महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी रहे हैं। वर्तमान में पीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में मंदिर निर्माण एवं इसका भव्य उद्घाटन होने जा रहा है। यह भी गोरक्ष पीठ और हम सभी के लिए बेहद गौरवान्वित करने वाली बात है।

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