मोबाइल टावरों के उपकरण चोरी करने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश,6 अभियुक्त गिरफ्तार

Interstate gang stealing mobile tower equipment busted, 6 accused arrested

गाजियाबाद। मोबाइल फोन की बेहतर सर्विस के साथ नेटवर्क तो मजबूत हुआ है, लेकिन इसके साथ ही टावर में लगी रिमोट रेडियो (RR) यूनिट चोरी कर विदेश भेजने का धंधा भी बढ़ गया है। हालांकि, विदेश में यूनिट का प्रयोग किस प्रकार हो रहा है, यह पूरी तरह से साफ नहीं हुआ है लेकिन हर साल लाखों रुपये कीमत की यूनिट बाहर भेजी जा रही हैं। एक नामी टेलीकॉम कंपनी की शिकायत में 2023-24 में ही देशभर में 9 हजार से अधिक यूनिट चोरी होने की बात सामने आई है।इसके अनुसार, चोरों ने करीब 400 करोड़ से अधिक की आरआर और बेसबैंड यूनिट को चोरी किया है। आरआर यूनिट की कीमत 2 लाख रुपये से शुरू होकर 20 लाख रुपये तक जाती है। यह सिर्फ एक टेलीकॉम कंपनी से चोरी का आंकड़ा है। आशंका है कि अन्य कंपनियों से भी इसी तरह यूनिट चोरी हो रही होंगी।
कंपनी की शिकायत के बाद गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, कानपुर और आगरा कमिश्नरेट के साथ इन जोन को डीजीपी की तरफ से लेटर लिखा गया था। इसके बाद बात गाजियाबाद पुलिस दिल्ली के मुस्तफाबाद में नेटवर्क तक पहुंची। एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि इन गिरोहों के 18 बदमाशों को पुलिस को गिरफ्तार कर चुकी है। 6 करोड़ से अधिक का माल बरामद किया गया है। इसमें जावेद समेत कई बड़े कबाड़ियों के नाम सामने आए हैं। उनकी तलाश की जा रही है। इस मामलों में टेलीकॉम कंपनी गाजियाबाद में हुई कार्रवाई के बाद कई मामलों में यहां की पुलिस से मदद मांग रही है।
पुलिस की जांच में सामने आया है आरआर यूनिट को चोरों और उसे सप्लाई करने वालों के बीच डिब्बे के नाम से जाना जाता है। इस समय कई बड़े कबाड़ी चोरी छिपे डिब्बे का काम कर रहे हैं। इसमें दिल्ली के मुस्तफाबाद के कई लोगों का नाम सामने आ चुका है। हाल ही में पुलिस को जावेद के बारे में जानकारी मिली थी। जावेद आरआर यूनिट को स्क्रैप के रूप में चीन, बांग्लादेश और नेपाल तक बेच रहा है। यह यूनिट एयर ट्रांसपोर्ट से भेजी जाती हैं। वहीं, जावेद समेत कुछ अन्य कबाड़ियों के चीन और दुबई आने-जाने के बारे में भी पुलिस को जानकारी मिली है। बताया जा रहा है इस यूनिट की चोरी 2023 में काफी ज्यादा हुई। 2022 में पूरे साल देशभर में सिर्फ 29 यूनिट चोरी हुई थीं।
क्राइम ब्रांच की ओर से अभी तक की कार्रवाई में टावर का मेंटिनेंस देखने वाली कंपनी के कर्मचारी से लेकर मैनेजर रैंक के लोगों के इसमें शामिल होने की बात सामने आई है। उन्हें आरआर यूनिट के बारे में जानकारी होती है तो वह आसानी से चोरी कर फरार हो जाते हैं। इसके अलावा चोरी का माल 3-4 दिनों में ही विदेश भेज दिया जाता है। ऐसे में कई बार टेलीकॉम कंपनी को सही सूचना मिलने तक सामान दूर निकल गया होता है। पुलिस की जांच में यह तो सामने आया है कि आरआर यूनिट को विदेश भेजा जाता है। कॉल को कनेक्ट करवाने वाली यूनिट को टावर का दिल कहा जाता है। ऐसे में इन यूनिट के विदेश भेजे जाने का कारण पूरी तरह से साफ नहीं है। कुछ रिपोर्ट में उन्हें रिसेट कर छोटे देशों में सप्लाई करने की बात सामने आई है, लेकिन अभी तक इंटरनैशनल मार्केट में इसकी डिमांड बढ़ने के बारे में सही जानकारी सामने नहीं आई है। गाजियाबाद पुलिस इस मामले में जावेद की तलाश कर रही है ताकि इस मामले में और जानकारी सामने आए।

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