ताड़ी में घोल रहे थे डिप्रेशन की दवा, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पकड़ी ड्रग फैक्ट्री

Medicine for depression was being dissolved in toddy, Delhi Police's special cell caught the drug factory.

राजीव कुमार गौड़/दिल्ली ब्यूरो। अब तक अल्प्राजोलम की टैबलेट पकड़ी जाती रही हैं। यह पहला मौका है जब स्पेशल सेल ने इसकी फैक्ट्री को ही पकड़ा है। नवंबर 2023 में स्पेशल सेल ने अल्प्राजोलम की 68 हजार टैबलेट बरामद की थीं। जिसकी कीमत 2 करोड़ से अधिक की थी। पुल‍िस ने बताया क‍ि यह दवाई डॉक्टर के पर्चे के बगैर नहीं मिलती है। जांच में पता चला कि गजरौला में पकड़ी गई यह फैक्ट्री अवैध रूप से चल रही थी। फैक्ट्री मालिक ही इस सिंडिकेट का मास्टरमाइंड है।
अल्प्राजोलम डिप्रेशन के इलाज में बेहद कारगर मानी जाती है। पुलिस अफसर के मुताबिक, यह ब्रेन के न्यूरो सिस्टम पर असर करती है। खासकर ऐसे मानसिक रोगी जो हिंसक हो जाते हैं। उन्हें यह दवा दी जाती है। यह मन को शांत और नींद लाने का काम करती है।
गिरफ्तार आरोपियों में एक है वंगा उर्फ राजेंदर। यह मूल रूप से मेहबूब नगर तेलंगाना का है। 3 भाई और एक बहन में सबसे छोटा है। स्कूल छोड़ने के बाद इसने छोटी मोटी नौकरियां कीं। इसके बाद तेलंगाना के नगरकुर्नूल के पड़ोसी गांवों में पाम वाइन (ताड़ी) की सप्लाई का लाइसेंस ले लिया। इसने नशा बढ़ाने के लिए पाम वाइन (ताड़ी) में डायजेपाम मिलाना शुरू कर दिया। जिससे उसकी ताड़ी की सेल ज्यादा बढ़ गई।
खुले बाजार में डायजेपाम मिलना बंद हुआ। जिससे पिछले एक साल से ताड़ी में साइकोट्रोपिक पदार्थ अल्प्राजोलम मिलाना शुरू कर दिया। जिसके कारण वंगा उर्फ राजेंद्र गौड़ उर्फ राजू की पाम वाइन की बंपर सेल होने लगी। पुलिस अफसर के मुताबिक, अल्प्राजोलम बहुत ही ताकतवर ड्रग्स है। इसकी अधिक डोज से जानलेवा जोखिम हो सकता है।

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