रुद्रप्रयाग डीएम के खिलाफ कर्मचारियों ने जमकर करी नारेबाजी
उत्तराखंड। रूद्रप्रयाग निर्वाचन ड्यूटी से वापस लौटे कर्मचारी अव्यवस्थाओं पर बिफर पड़े और इंकलाब जिंदाबाद के नारों के साथ जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी करने लगे। दरअसल रूद्रप्रयाग जिले की दोनों विधानसभाओं की रवानगी और वापसी अगस्त्यमुनि से सुनिश्चित की गई थी। यहां से जिले भर की 361 पोलिंग पार्टियां रवाना हुई जिसमें 173 केदारनाथ विधानसभा में और 188 रूद्रप्रयाग विधानसभा में 12-13 फरवरी को पहुंची।
आदेशानुसार इन्हें 14 फरवरी को चुनाव संपन्न कराने के बाद समस्त सामग्री के साथ वापस अगस्त्यमुनि केंद्र पहुंचना था। मतदान 6 बजे सांय संपन्न हुआ और संपूर्ण निर्वाचन सामग्री को निर्धारित मानकों के हिसाब से क्लोजिंग करते-करते तीन चार घंटों का समय लग गया, ऐसे में देर रात तकरीबन साढ़े तीन बजे तक कर्मचारी लौटते रहे। लेकिन जब वो अगस्त्यमुनि पहुंचे तो अव्यवस्थाएं देख अधिकांश लोग भड़क गए और अव्यवस्थाओं के खिलाफ नारेबाजी होने लगी।
दरअसल इस पूरी अव्यवस्था के पीछे मूवमेंट प्लान का झोल सामने आ रहा है जिस पर उच्चाधिकारियों ने धरातलीय स्थिति को दरकिनार कर स्वीकृति दे दी। जबकि निर्वाचन अधिकारियों को पहाड़ की भौगोलिक स्थितियों का पहले संज्ञान लेना चाहिए था और उसी हिसाब से वापसी कार्यक्रम तय होने चाहिए थे। मूवमेंट प्लान फेल होने के पीछे कानूनगो पटवारियों की हड़ताल भी एक कारण रहा, प्लान बनाने में डेलीवेज कर्मचारियों की अनुभवहीनता और उच्चाधिकारियों की आंख मूंद कर की गई स्वीकृति भारी पड़ी।
दरअसल पहाड़ की भौगोलिक स्थिति के अनुसार यह आदेश अव्यवहारिक था। क्योंंकि कई पोलिंग बूथ काफी दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में थे जहां सड़क होने के बावजूद भी आना जाना जोखिम भरा था। बावजूद जान हथेली पर रखकर निर्वाचन ड्यूटी में लगे कर्मचारी जैसे तैसे लौटते गए। कोई 11 बजे पहुंचा तो किसी को पहुंचते पहुंचते 3.30 बज गई, फिर निर्वाचन सामग्री को जमा करते करते जो वक्त लगा वो अलग। आलम ये था कि थकान से भरे कर्मचारी बेहाल हो गए। ऊपर से हर पोलिंग पार्टी के वेरिफिकेशन में हुई देरी से अव्यवस्थाएं फैल गई। सुबह से मतदान में डटे कर्मचारी थकान से चूर होकर बाद में अव्यवस्थाओं से हार कर जहां तहां परेशान दिखे।