अधिकारियों की अनदेखी के चलते भैसों का तबेला बना संस्कृत विद्यालय

बांदा,(उत्तर प्रदेश)। जिले में संस्कृत विद्यालयों की हालत अत्यंत दयनीय है। ज्यादातर विद्यालय कागजों में चल रहे हैं। कुछ विद्यालय ऐसे भी चल रहे हैं, जिनमें बच्चों की संख्या न के बराबर है। इसी जिले में एक ऐसा भी संस्कृत विद्यालय है, जहां छात्र-छात्राओं से लेकर अध्यापक तक के दर्शन नहीं होते। लेकिन इसी परिसर में भैसें विचरण करती हैं।

22 वर्षों से कागजों में चल रहा विद्यालय
नरैनी तहसील के ग्राम पुंगरी अंश बंजारा में महावीर उच्चतर माध्यमिक संस्कृत विद्यालय पिछले बाइस वर्षों से कागजों में चल रहा है। यहां विद्यालय भवन भी है। लेकिन न तो कभी छात्र आते हैं और न ही कभी अध्यापकों के दर्शन होते हैं। विद्यालय कब खुलता है और कब बंद होता है, इसकी जानकारी लोगों को नहीं है।

असली डिग्री, फर्जी पढ़ाई
कुछ लोगों का कहना है कि यहां बच्चों को तो नहीं देखा गया, लेकिन यहां भैसें बंधी रहती हैं और इसी परिसर में विचरण करती हैं। फर्जी पढ़ाई और परीक्षा के बाद पंजीकृत छात्रों को डिग्री दे दी जाती है। अधिकारी भी कभी यहां झांकने नहीं जाते हैं। भैस पाल रहे नत्थू लाल, श्याम प्रसाद, ललित, जमुना, बद्री एवं संतू आदि ने बताया कि विद्यालय जब बंद है और इसका कोई उपयोग नहीं है तो हम लोग यहां अपने जानवर बांधते हैं। परिसर में ही बंजारा हनुमानजी का मंदिर भी है। श्रद्धालु पूजा पाठ करके चले जाते हैं।
चार अध्यापकों की तैनाती
कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि यह विद्यालय साल में एक या दो बार खुलता है, बाकी समय यहां भैसों का ही अड्डा रहता है। बताते चलें कि सरकार ने देववाणी संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस पिछड़े इलाके में वर्ष-2000 में विद्यालय स्थापित किया था। चौदह ग्राम पंचायतों व चौबीस मजरों के बीच एकमात्र संस्कृत विद्यालय है। इस विद्यालय में चार अध्यापकों की तैनाती भी है। फिर भी विद्यालय नहीं खुलता है। स्वयंसेवी संगठन विद्याधाम समिति के सचिव राजाभइया ने बताया कि दो वर्ष पहले तक यह विद्यालय खुलता था, जब अधिकारियों का इस क्षेत्र में दौरा होता था। उस समय के प्रधानाचार्य सेवानिवृत्त हो गए हैं। तब से इस विद्यालय का कोई पुरसाहाल नहीं है। शिक्षक और बच्चे आते नही हैं। वहीं इस बारे में जिला विद्यालय निरीक्षक विनोद कुमार सिंह का कहना है कि यह मामला प्रकाश में आया है। इसकी जांच की जा रही है। दोषी अध्यापकों के खिलाफ जांच के बाद विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

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