दिल्ली में मुगलकालीन लुक बहाल कर 250 वर्ष बाद खोली जा रही पुलिस चौकी
Police post being opened in Delhi after 250 years by restoring the Mughal era look.
नई दिल्ली। रोहतक रोड से अगर आनंद पर्वत की तरफ जाएंगे तो यहां मुगलकालीन इमारत को देखकर चौकिएगा नहीं। इस इमारत में करीब 250 वर्ष बाद पुलिस चौकी दोबारा से खुल रही है। जर्जर हो चुकी इस इमारत का रिनोवेशन कर मुगलकालीन लुक बहाल किया जा रहा है। मुगलकाल के दौरान चूना पत्थर से बनी इस इमारत को इन्हीं वस्तुओं से दोबारा बनाया जा रहा है। यह चौकी इस सप्ताह खुल जाएगी। संभावना व्यक्त की जा रही है दिल्ली पुलिस अपनी स्थापना वाले दिन यानि आगामी 16 फरवरी को इसका उद्घाटन करेगी।
बड़ की चौकी रखा जाएगा नाम
इसका नाम भी मुगलकालीन नाम की तरह बड़ की चौकी रखा जाएगा। ये पुलिस चौकी उत्तरी जिले के सराय रोहिल्ला थाने के अंतर्गत काम करेगी। पुरानी इमारत में ये दिल्ली पुलिस की पहली चौकी होगी। कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय ट्रस्ट(इनटैक) ने जर्जर इमारत का मुगलकालीन लुक बहाल किया है। निर्माण पूर्ण होने के बाद इसे देखने के लिए आम जनता के लिए भी खोला जाएगा।
दिल्ली पुलिस की पुरानी एफआईआर व अन्य दस्तावेजों को संभाल कर रखने वाले सहायक पुलिस आयुक्त(एसीपी) राजेंद्र सिंह कलकल ने बताया कि दिल्ली पुलिस की कॉफी टेबल बुक ‘दिल्ली पुलिस: हिस्ट्री एंड हेरीटेज’ वर्ष 2006 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक पर रिसर्च चल रही है। रिसर्च के दौरान पता चला कि वर्ष 1821 में एक किताब ‘सैर उल मनाजिल’ प्रकाशित हुई थी। ये पुस्तक मिर्जा संगीन बेग ने लिखी थी। उस किताब का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन शमा मित्रा चिनॉय द्वारा किया गया था। इस किताब में उस वक्त की पुरानी ऐतिहासिक बिल्डिंग के बारे मेें उल्लेख था। बताया जा रहा है कि ये मुगलकालीन पुलिस चौकी सन 1780 से 1800 के बीच बनाई गई है। 1803 में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। 1821 में लिखी गई पुस्तक में इस पुलिस चौकी का जिक्र है।
काला पहाड़ के सामने थी चौकी
सैर उल मनाजिल पुस्तक में बड़ की पुलिस चौकी का जिक्र है। जिसमें लिखा था कि मुगल काल में रोहतक रोड़ पर काला पहाड़ के सामने शीतला मंदिर के पास एक पुलिस चौकी हुआ करती थी। इसके बाद एसीपी राजेंद्र सिंह कलकल ने इस पुलिस चौकी को ढूंढने का जिम्मा उठाया। लोगों से पूछताछ व रिसर्च से पता चला कि आज के आनंद पर्वत को पहले काला पहाड़ बोला जाता था और उस समय पुराना शीतला मंदिर आज के माता उषा मंदिर के नाम से जाना जाता है।
200-250 साल पुरानी है ये इमारत
दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इलाके के पुराने लोगों से बातचीत के आधार पर पता लगा कि सराय रोहिल्ला थाना क्षेत्र में एक पुरानी चौकी हुआ करती थी। राजेंद्र सिंह कलकल की देखरेख में पुलिस टीम यहां पहुंची। पता चला कि वाहन चोरी निरोधक दस्ते(एएटीएस) के पास एक पुरानी बिल्डिंग थी। इस बिल्डिंग को इनटैक द्वारा चेक करवाया गया तो ये प्रमाणित हो गया कि ये बिल्डिंग करीब 200-250 साल पुरानी है।
28 दिन में तैयार होता है मुगलकालीन चूना
हुरुतिका सातदिवे ने बताया कि मुगलकालीन चूना गुड, मेथी आदि चीजों से तैयार किया जाता था। इन वस्तुओं से ये चूना 28 दिन में तैयार होता है। इसे स्लेकेडलाइम कहा जा रहा है। बिल्डिंग के गिर चुके पत्थरों को दोबारा से लगाया जा रहा है। छत भी वैसी ही बनाई गई है जैसी मुगलकाल में थी। बिल्डिंग के गेट व खिड़कियां बनाने के लिए सांगवान की लकड़ी मंगवाई गई है। इस लकड़ी से दरवाजे व खिड़कियां बनवाई जा रही हैं।
संरक्षण वास्तुकार ने बताया कि बिल्डिंग में दो कमरे व सात दरवाजे हैं। बाहर की तरफ कॉरिडोर है। पुर्नस्थापना में रेड सेंड स्टोन लगाए गए हैं। सीमेंट की फ्लोरिंग की गई है। बिल्डिंग के बाहर बनाया गया अस्थाई निर्माण हटाया गया है। इससे पुलिस चौकी बाहर से दिखाई देने लगी है। पास में कुंआ है। कुंए को खाली करवाया गया है। इसके ऊपर जाल लगाया गया है। जाली लगवाई गई हैं। पार्किंग बनवाई गई है। साइनेज लगाए जा रहे हैं। एक कंपनी की ओर से फ्री में लाइटिंग की गई है।
इनटैक करती है लिस्टिंग बिल्डिंग की देखभाल
हुरुतिका सातदिवे ने बताया कि जिन ऐतिहासिक इमारतों की देखभाल एएसआई नहीं करती वह लिस्ट की श्रेणी में आती हैं। इस श्रेणी वाली बिल्डिंग की देखभाल इनटैक करती है। उन्होंने बताया कि मुगलकाल में ये पुलिस चौकी बिल्डिंग की छत ईंटों व लोहे की गर्डर से बनाई गई है। अब छत को वहीं रूप दिया जा रहा है।