श्रावण सेवा संकल्प: बृज की रसोई द्वारा निराश्रितों के लिए नि:शुल्क भोजन वितरण

इण्डियन हेल्पलाइन सोसाइटी (पंजीकृत) के तत्वावधान में मानवीय सेवा का आयोजन

लखनऊ/उत्तर प्रदेश। पवित्र श्रावण मास में जब आस्था और सेवा का अद्भुत समागम देखने को मिलता है, तब बृज की रसोई द्वारा एक और उल्लेखनीय पहल सामने आई है। इण्डियन हेल्पलाइन सोसाइटी (रजि.) के अंतर्गत संचालित इस सेवा अभियान के तहत लखनऊ के आशियाना क्षेत्र में एक भव्य नि:शुल्क भोजन वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संस्था के संस्थापक विपिन शर्मा ने बताया यह आयोजन उन वंचित और असहाय नागरिकों के लिए था, जिनके पास जीवन-निर्वाह के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं, और न ही कोई स्थायी सहारा। इनमें विशेष रूप से झुग्गियों में रहने वाले बेसहारा बुज़ुर्ग, निराश्रित बच्चे, निर्माण स्थलों पर कार्यरत श्रमिक परिवार, और मलिन बस्तियों के निवासी सम्मिलित थे।
संस्था की राष्ट्रीय महिलाध्यक्ष रजनी शुक्ला कहती हैं इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था भूख से लड़ना नहीं, भूख से हार चुके लोगों तक आशा और सहारा पहुँचाना। संस्था कई वर्षों से यह सेवा-कार्य नियमित रूप से कर रही है, और हर रविवार अलग-अलग संवेदनशील क्षेत्रों में ताजे, स्वच्छ व पौष्टिक भोजन के पैकेट वितरित किए जाते हैं।
आशीष श्रीवास्तव ने बताया इस बार भोजन वितरण सेक्टर-एम रिक्शा कॉलोनी, रतन खंड, डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के समीप झुग्गियाँ, निर्माणाधीन भवनों में कार्यरत श्रमिकों के अस्थायी निवास, नगर निगम जोन-8 की मलिन बस्तियाँ, एवं रतनखण्ड पानी टंकी क्षेत्र जैसे चिन्हित क्षेत्रों में संपन्न हुआ। जिसमें लगभग 1400 बेसहारा बुज़ुर्ग, निराश्रित बच्चों को स्वच्छता के साथ भोजन परोसा गया।
विकास पाण्डेय कहते हैं कार्यक्रम में संस्था के समर्पित स्वयंसेवकों की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। विकास पाण्डेय, अनुराग दुवे, संजय सिंह, दिनेश कुमार पाण्डेय, आशीष श्रीवास्तव, मुकेश कनौजिया, नवल सिंह सहित संस्था की राष्ट्रीय महिलाध्यक्ष रजनी शुक्ला ने सेवा भाव से न केवल भोजन वितरण किया, बल्कि प्रत्येक लाभार्थी से आत्मीयता का व्यवहार कर सामाजिक करुणा का परिचय भी दिया।

संस्था ने स्पष्ट किया कि अब यह सेवा-कार्य कुछ गिने-चुने व्यक्तियों की सामर्थ्य से संभव नहीं। सभी संवेदनशील नागरिकों, सामाजिक संगठनों एवं युवाओं से आह्वान किया गया कि वे आगे आएं और इस पुनीत कार्य का हिस्सा बनें। मुकेश कनौजिया का मानना है कि यह महज़ भूख मिटाने का कार्य नहीं, यह मानवीय गरिमा की रक्षा का प्रयास है। आपका छोटा-सा सहयोग किसी के लिए जीवन का सहारा बन सकता है। अनुराग दुबे ने बताया कार्यक्रम की सफलता ने यह सिद्ध किया कि समाज में यदि सामूहिक सहयोग और सच्ची सेवा भावना एकत्र हो जाए, तो हर संकट को मात दी जा सकती है। बृज की रसोई अब एक सामाजिक आंदोलन बनता जा रहा है, जिसमें प्रत्येक रविवार सैकड़ों भूखे चेहरे मुस्कुराते हैं और यही इस सेवा का सबसे बड़ा पुरस्कार है।

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