ग्रेटर नोएडा के कासना की एक प्रिंटिंग प्रेस में छापी जा रही थीं भड़काऊ किताबें

ग्रेटर नोएडा। कासना औद्योगिक क्षेत्र साइट पांच की जिस प्रिटिंग प्रेस में भड़काऊ किताबों का प्रकाशन हो रहा था। वहां विदेशियों को ठहारने के लिए दूसरे तल पर गेस्ट हाउस बना गया था। जहां विदेशों से आने जाने वाले लोगों को ठहराया जाता था। तुर्की और जर्मनी के अलावा बांग्लादेशी यहां आकर ठहरते थे।
उनकी आवभगत करने की जिम्मेदारी खुद आरोपी फरहान नबी सिद्दीकी व उसके कुछ विश्वासपात्र चुनिंदा लोगों के पास थी। अभी तक की जांच में सामने आया है कि ऑर्डर पर किताबों को छापने के बाद डिलीवर किया जाता था। ऑनलाइन भी किताबों की डिलीवरी होती थी। पांच सौ से छह सौ किताबों का ऑर्डर मिलने के बाद उन्हें टैंपों या निजी वाहनों से गंतव्य तक पहुंचाया जाता था।
आयुर्वेदिक दवाइयों की आड़ में अवैध तरीके से भडकाऊ सामग्री वाली किताबों की छपाई हो रही थी। प्रिंटिंग प्रेस परिसर के सबसे पिछले हिस्से में लगी हुई है। जहां विश्वासपात्र कर्मचारियों के साथ-साथ चुंनिदा लोगों का ही पहुंचना संभव था। सुरक्षा में तैनात गार्ड को भी वहां जाने की अनुमति नहीं थी। परिसर में घुसते ही आयुर्वेदिक दवाइयों के प्रोडेक्ट रखे हुए हैं।
जबकि परिसर के बाहर आरओ बेचे जाने का बोर्ड लगा है। जांच में सामने आया है कि आयुर्वेदिक दवा व आरओ बेचे जाने की आड़ में प्रिटिंग प्रेस में अवैध तरीके से किताबों का प्रकाशन हो रहा था। भूखंड खरीदने के बाद 2019 में इलेक्ट्राॅनिक उपकरण के नाम पर जीएसटी नंबर लिया गया था। परिसर के बाहर होम एप्लायंस के नाम से आरओ बेचे जाने का बोर्ड भी लगा रखा है।
दिल्ली में हुए धमाकों को जोड़कर जांच तेज की गई है। मंगलवार रात को भी यूपी एटीएस की टीम ने दोबारा कासना पहुंचकर प्रिटिंग प्रेस का निरीक्षण करने के साथ कुछ कर्मचारियों से भी पूछताछ की। सूचना पर स्थानीय कोतवाली पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी, लेकिन एटीएस की टीम ने स्थानीय पुलिस को भी मामले से जुड़ी कोई जानकारी साझा नहीं की।
धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने के लिए विदेश से 11 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाने और बांग्लादेशी घुसपैठियों को पनाह देने के आरोप में दिल्ली निवासी फरहान नबी सिद्दीकी को यूपी एटीएस ने कासना से गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया है कि फैक्ट्री में भडकाऊ सामग्री वाली किताबों का प्रकाशन किया जाता था।
फरहान अपने साथी नासी तोर्बा के साथ मिलकर कई कंपनियों का संचालन करता था। तुर्की और जर्मनी से तमाम लोग आते थे, जिसकी सूचना पुलिस को नहीं दी जाती थी। उनकी कंपनियों में विदेश से हवाला एवं अन्य माध्यम से पैसा मंगाया जा रहा था। ये ग्रेटर नोएडा के कासना में हकीकत प्रिंटिंग पब्लिकेशन का इस्तेमाल धार्मिक एवं विभिन्न समूह के बीच शत्रुता एवं वैमनस्यता फैलाने वाली किताबों का अवैध तरीके से प्रकाशन करने में कर रहे थे।
पुलिस स्थानीय स्तर पर यह पता लगाने का प्रयास कर रही है की कही नोएडा-ग्रेटर नोएडा में तो इन लोगों ने मस्जिद या मदरसे के लिए तो जमीन नहीं खरीदी थी हालांकि पुलिस का दावा है कि जमीन खरीदे जाने जैसी कोई जानकारी अभी तक नहीं मिली है।

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