यूपी सरकार ने डीआईजी जुगल किशोर को किया सस्पेंड, सिपाही को बचाने में खुद नप गए

लखनऊ/एजेंसी। यूपी की योगी सरकार ने आईपीएस अधिकारी डीआईजी फायर के पद पर तैनात जुगल किशोर को सस्पेंड कर दिया है। उन पर आरोप है कि एक सिपाही पर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई नहीं की और पूरे मामले में शिथिलता बरतते हुए उसे क्लीनचिट भी दे दी है। हालांकि डीआईजी का इस बारे में अलग ही तर्क है। उन्होंने कहा कि मैंने नियमतः काम किया है। सूत्रों ने बताया कि करीब आठ माह पहले उनके खिलाफ डीजीपी मुख्यालय ने कार्रवाई करने की संस्तुति की थी।
बताया जाता है कि भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे एक सिपाही के खिलाफ पुलिस अधीक्षक फायर ने कार्रवाई की सिफ़ारिश की थी लेकिन डीआईजी जुगल किशोर ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी। इस मामले में याचिका होने के बाद डीजीपी मुख्यालय ने जांच शुरू की थी और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखा था।
जुगल किशोर 2008 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। जुगल किशोर गाजीपुर, बांदा, वाराणसी, इलाहाबाद, लखनऊ, चित्रकूट और बहराइच से SP भी रह चुके हैं। चित्रकूट में रहने के दौरान पाठा के जंगलों में तीन दिन का अभियान चलाकर दुर्दांत डकैत घनश्याम केवट का एनकाउंटर किया था। सूत्रों के अनुसार उन्नाव में तैनात फायरमैन को मिली सज़ा खत्म करने पर डीआईजी फायर सर्विस जुगल किशोर तिवारी को सस्पेंड किया गया है। उन्नाव में तैनात फायर विभाग का ड्राइवर बीमारी के चलते कई दिनों तक ड्यूटी से गायब था। बिना अनुमति के ड्यूटी से गायब रहने पर उसे एक साथ दो सजा दी गई थी। डीआईजी जुगल किशोर तिवारी ने एक अपराध में दो सजा नहीं देने के सिद्धांत में फायर विभाग के ड्राइवर को क्लीन चिट दे दी थी।
ड्राइवर को क्लीन चिट देने पर ही डीआईजी जुगल किशोर तिवारी को सस्पेंड किया गया है। जुगल किशोर तिवारी का इस पूरे मामले पर कहना है कि मैने नियमतः काम किया है, उचित फोरम में अपनी बात रखूंगा। जुगल किशोर ने चित्रकूट के जंगलों से डकैतों का लगभग सफाया कर दिया था। इन्होंने चित्रकूट में पोस्टिंग के दौरान पूरे क्षेत्र में शांति बहाली का काम किया था। जुगल किशोर ने अतीक अहमद के यहां तब बुलडोजर चलवाया था जब उसकी तूती बोलती थी।

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