बेटी आगे पढ़ना चाहती थी, राजमिस्त्री पिता नहीं उठा पाया खर्च, जहर खाकर दोनों ने दे दी जान
मेरठ/उत्तर प्रदेश। मेरठ में दिल को दहला देने वाला मामला सामने आया है। गरीबी से जूझ रहे चिरौड़ी गांव के रहने वाले राजमिस्त्री जोगेंद्र प्रजापति ने अपनी नाबालिग बेटी खुशी के साथ गुरुवार को जहर खाकर आत्महत्या कर ली। शुक्रवार को दोपहर बाद पोस्टमार्टम के बाद दोनों का शव गांव लाया गया। दोनों के शव देखते ही गांव के लोगों की आंखें नम हो गई। दरअसल, 50 वर्षीय राजमिस्त्री और उसकी 17 वर्षीय बेटी ने जहर खाकर जान दे दी, क्योंकि राजमिस्त्री अपनी बेटी को स्कूल नहीं भेज पाया था। खुशी ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 75 फीसदी अंक हासिल किए थे। वह 11वीं कक्षा में दाखिला दिलाने के लिए पिता से लगातार कह रही थी। पैसों का इंतजाम न होने के बाद दोनों ने यह खौफनाक कदम उठाया।पुलिस ने बताया कि जोगेंद्र प्रजापति आर्थिक तंगी से परेशान था। उसने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि वह अपनी बेटी खुशी की आगे की पढ़ाई की इच्छा को पूरा करने में कथित रूप से विफल रहा था। चिरौड़ी गांव के लोगों ने बताया कि खुशी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी। वह अपने पिता से स्थानीय स्कूल में 11वीं कक्षा में दाखिला दिलाने के लिए कह रही थी, लेकिन जोगेंद्र ऐसा नहीं कर सका। वह गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। उसके लिए अपने सात लोगों के परिवार का पेट भरना भी मुश्किल हो गया था।
सीओ (दौराला) सुचिता सिंह ने बताया कि गुरुवार को जोगेंद्र प्रजापति बिना कोई काम किए घर लौट आया। खुशी के अलावा घर पर कोई नहीं था। खुशी ने फिर से अपने एडमिशन को लेकर चिंता जताई। अपनी गरीबी से लाचार और हताश प्रजापति ने जहर खा लिया। खुशी इसे बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने भी कुछ देर बाद खुद को मार डाला। सीओ कृष्णा चौधरी ने बताया कि पड़ोसियों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। शुक्रवार को दोनों का गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। वहीं, सरधना विधायक अतुल प्रधान पीड़ित परिवार के घर पहुंचे। उन्होंने मृतकों के अंतिम संस्कार में भाग लेने के बाद पीड़ित परिवार की आगे भी मदद का भरोसा दिलाया।