ट्रेन के टॉइलट में सफर, दिल्ली की सड़कों पर सोए, अरुणाचल प्रदेश से पहले डीजीपी बन रॉबिन हिबू ने रचा इतिहास
दिल्ली में विशेष पुलिस आयुक्त रहे रॉबिन हिबू की चर्चा हो रही है। आईपीएस रॉबिन हिबू अरुणाचल प्रदेश के पहले ऐसे आईपीएस हैं, जिन्हें पुलिस महानिदेशक बनाया गया है। 1993 बैच (47 आरआर) के रबीन हिबू अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के हैं।
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी रॉबिन हिबू को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर पदोन्नत किया गया है। वह वर्तमान में दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं। रॉबिन हिबू अरुणाचल प्रदेश के पहले ऐसे आईपीएस हैं, जो डीजीपी बने हैं। वह अपने पूरे कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन के मुख्य सुरक्षा अधिकारी सहित विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं।
चीन बॉर्डर के छोटे से गांव में जन्म
रॉबिन हिबू का जन्म 1 जुलाई, 1968 को अरुणाचल प्रदेश और चीन बॉर्डर से लगे छोटे से गांव होंग में हुआ। वह सतर्कता, परिवहन सुरक्षा विंग और दिल्ली पुलिस के बीओएफ भर्ती कार्यालय के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे।
जरूरतमंदों के लिए चलाते हैं संस्था
रॉबिन हिबू गैर-लाभकारी संगठन हेल्पिंग हैंड्स के संस्थापक भी हैं, जो संकट में पूर्वोत्तर के नागरिकों को सहायता प्रदान करता है। बच्चों की पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद से लेकर मार्गदर्शन तक देते हैं। रॉबिन हिबू की पदोन्नति उनके समर्पण, कड़ी मेहनत और सार्वजनिक सेवा में उत्कृष्ट योगदान का प्रमाण है।
किसान थे पिता
रॉबिन हिदू आदिवासी समुदाय से आते हैं। उनके मामूली किसान थे। उनके पास इतनी जमीन भी नहीं हुआ करती थी कि परिवार का पेट ठीक से भर सके। खेती के साथ आय के लिए वह लकड़ी काटकर बाजार में बेचा करते थे।
रोज 10 किमी चलकर जाते थे स्कूल
रॉबिन हिबू के गांव में कोई स्कूल नहीं था लेकिन उनकी पढ़ने की सनक ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। रॉबिन बताते हैं कि वह बचपन में घर से करीब 10 किलोमीटर दूर स्कूल पैदल चल कर जाया करते थे। स्कूलिंग के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। रॉबिन हिबू ने जेएनयू से पढ़ाई की।
ट्रेन के टॉइलट में बैठकर किया सफर
रॉबिन हिबू ने अपनी बायोग्रफी लिखी है जो उनके संघर्षों के दिन बयां करती है। रॉबिन ने इसमें बताया है कि जब वह अरुणाचल प्रदेश से दिल्ली आए तो उनके पास इतने रुपये भी नहीं थे कि वह रिजर्वेशन करा सकें। वह ट्रेन में टॉइलट के सामने फर्श पर बैठकर दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली में आने का बाद कोई ठिकाना नहीं मिला तो उन्होंने जेएनयू के पास सब्जी की गोदाम के बाहर कई रातें बिताईं। कुछ दिनों बाद जेएनयू के नर्मदा हॉस्टल में उन्हें कमरा मिला तब जाकर वह वहां रहने गए।
सड़क पर बिताईं रातें
जेएनयू से पढ़ाई के बाद रॉबिन ने सिविल सर्विस की तैयारी की। 1993 में पहली बार में ही उन्होंने यूपीएससी क्रैक कर लिया और उन्हें आईपीएस कैडर मिला। का एग्जाम दिया। पहले ही अटेम्प्ट में उन्होंने सिविल सर्विस का एग्जाम क्रैक कर लिया। उन्हें आईपीएस कैडर दिया गया।