गोलगप्पे के पानी में नमक का तेजाब,जहरीला है आपका मनपसंद ‘गोलगप्पा

दिल्ली की हर गली नुक्कड़ पर परचून की दुकान भले ही ना हो लेकिन गोलगप्पे वाले की रेहड़ी जरूर दिख जाएगी। आप जिस गोलगप्पे को इतने चाव से खाते हैं। उसके बारे में जरा ये भी जान लीजिए। जब जगह-जगह गोलगप्पे की रेहड़ी लगाने वालों से बातचीत की तो उन्होंने बातों-बातों में गोलगप्पे के पानी में एसिड डालने से लेकर इससे होने वाले मुनाफे के बारे में पूरी कहानी बताई। पता चला कि गोलगप्पे में एसिड डालने का काम त्योहारों के सीजन में धुआंधार तरीके से किया जाता है। यह सीजन अक्टूबर में शुरू होता है, जिसमें कई दिन तक खूब कमाई होती है। क्या आपको भी चटपटे, चटाखेदार मसालों से भरे खट्टे गोलगप्पे) या पानी-पूरी खाना पसंद है? पानी-पूरी या गोलगप्पे पूरे भारत के सभी हिस्सों में खाया जाने वाला सबसे पॉपुलर स्ट्रीट फूड है। बिरयानी की तरह पूरे भारत में पानी-पूरी लवर्स की भी एक बड़ी संख्या है, जिसमें ज्यादातर लड़कियां शामिल हैं। आटे या सूजी की पूरियों में आलू/मटर/चने और तीखा-खट्टा-चटपटा पानी डालकर जब गोलगप्पे के दीवानों के सामने परोसा जाता है, तो उन्हें ‘अद्भुत सुख’ मिलता है।पानी-पूरी या गोलगप्पे गिल्ट-फ्री स्ट्रीट फूड है क्योंकि इसमें दूसरे स्ट्रीट फूड्स की अपेक्षा बहुत कम तेल का इस्तेमाल किया जाता है और पेट भी जल्दी भर जाता है। लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि गली के नुक्कड़ पर खड़े जिस पानी-पूरी के खोमचे पर आप चटाखे मार-मार कर गोलगप्पों का आनंद लेते हैं और बाद में एक्सट्रा पानी (जलजीरा) मांग लेते हैं, वो आपको स्वाद के नाम पर धीमा जहर बेच रहा हो?
जी हां, ये संभव है और बहुत हद तक सच भी है कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में बिकने वाले पानी-पूरी को ज्यादा टेस्टी बनाने और ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में बहुत सारे दुकानदार इसमें हानिकारक एसिड्स का इस्तेमाल करते हैं। आइए आपको बताते हैं इन मिलावटी एसिड्स वाले गोलगप्पे के नुकसान और असली जलजीरा को पहचानने के कुछ खास टिप्स।
पारंपरिक तौर पर पानी-पूरी के पानी को खट्टा बनाने के लिए कच्चे आम, पकी इमली, सूखे आम (खटाई), नींबू या दूसरे प्राकृतिक खट्टी चीजों का प्रयोग किया जाता रहा है। लेकिन आम या इमली का सीजन हमेशा नहीं रहता है इसलिए भी और कई बार ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए गोलगप्पे वाले इसके पानी में खट्टे एसिड्स का प्रयोग करते हैं। आमतौर पर गोलगप्पों के पानी को मसालेदार, खट्टा और स्वादिष्ट बनाने के लिए हाइड्रोक्लोरिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, टारटेरिक एसिड, ऑक्जेलिक एसिड आदि का प्रयोग किया जाता है। यहां तक कि इस पानी में टॉयलेट क्लीनर मिलाए जाने के भी मामले कई बार सामने आ चुके हैं। इसके अलावा पानी को हरा और खूबसूरत बनाने के लिए बहुत सारे दुकानदार इसमें आर्टिफिशियल कलर भी मिलाते हैं। इन्हीं एसिड्स और आर्टिफिशियल कलर के कारण पानी-पूरी आपके लिए धीमा-जहर साबित हो सकते हैं।

एसिड वाला पानी या जलजीरा आपको खाने में तो टेस्टी लग सकता है, लेकिन आपके शरीर और सेहत के लिए ये बहुत अधिक नुकसानदायक हो सकता है। इन एसिड्स के कारण आपको निम्न समस्याएं हो सकती हैं-

  • आपके शरीर की सेल्स डैमेज हो सकती हैं।
  • लिवर खराब हो सकता है।
  • किडनी पर बुरा असर पड़ता है।
  • गले में जलन हो सकती है।
  • आंतों को नुकसान पहुंच सकता है।
  • सीने में जलन और एसिड रिफलक्स की समस्या हो सकती है।
  • आपको ऑटोइम्यून बीमारियों का शिकार बना सकती हैं।

गोलगप्पे का पानी अच्छा है या मिलावटी, इसकी जांच करना बहुत आसान है। नीचे बताए गए तरीकों से आप इसकी जांच कर सकते हैं।

  • सबसे पहली और आसान पहचान तो यही है कि एसिड मिले हुए पानी का स्वाद आपको अजीब और अप्राकृतिक लगेगा, जिससे आप समझ सकते हैं कि पानी में मिलावट की गई है।
  • इसके अलावा जिस जार में गोलगप्पे का पानी रखा हुआ है, उसे गौर से देखें। अगर इसमें बाकी के मसाले पूरी तरह तली में जमा हैं और ऊपर सिर्फ रंगहीन पारदर्शी पानी दिखाई दे रहा है, तो समझ लें कि पानी मिलावटी है और इसमें एसिड मिलाया गया है।
  • अगर गोलगप्पे का पानी नींबू के ताजे रस जैसा बहुत ज्यादा खट्टा हो, तो भी इस बात का संकेत हो सकता है कि पानी मिलावटी है, क्योंकि इमली या आम से बना पानी प्राकृतिक तौर पर बहुत ज्यादा खट्टा नहीं हो सकता है।
  • अगर पानी पूरी वाला आपको स्टील की प्लेट में गोलगप्पे देता है, तो इसके पानी को प्लेट में डालकर गौर से देखें। पानी का हिस्सा अलग और रंग का हिस्सा अलग और रंगीन या साबुत मसालों का हिस्सा अलग दिखता है, तो इसका अर्थ है कि पानी मिलावटी है।
  • अगर पानी-पूरी खाते ही आपको दांतों में झनझनाहट या एक पर्त सी बनती हुई महसूस हो, तो इसका भी अर्थ है कि पानी में एसिड मिलाया गया है।
  • अगर गोलगप्पे का पानी पीने के बाद आपके गले या सीने में हल्की जलन सी शुरू हो जाती है, तो समझ लें कि पानी में एसिड मिला हुआ था।
  • गोलगप्पे के पानी का रंग अगर बहुत ज्यादा हरा है, तो इसका अर्थ है कि इसमें आर्टिफिशियल कलर मिलाया गया है।
  • गोलगप्पा बेचने वाले के हाथों को देखें या हाथ में पहने हुए पॉलीथीन वाले ग्लव्स को देखें। अगर इस पर आपको हरा रंग दिखाई दे, तो समझ लें कि गोलगप्पे में आर्टिफिशियल कलर मिलाया गया है।

ध्यान रखें- गोलगप्पे का पानी अगर असली होगा, तो इसका टेक्सचर गाढ़ा होगा क्योंकि आम और इमली के गूदे इसमें मिले हुए होंगे। इसके अलावा प्राकृतिक चीजों से बना हुआ जलजीरा तली में अलग, किनारों पर अलग और बीच में अलग रंग नहीं छोड़ता है। इसका स्वाद भी बहुत चौंकाने वाला खट्टा नहीं हो सकता है। इस तरह आप असली या नकली पानी या जलजीरा की पहचान करके गोलगप्पों को चटखारे लेकर खा सकते हैं। आप अपने फेवरिट स्ट्रीट फूड का जमकर आनंद उठाएं, मगर मिलावटी और जहरीली चीजों से बचें क्योंकि ये आपके लिए बहुत अधिक नुकसानदायक साबित हो सकती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button